सरकार कहती है कि स्टाफ नहीं है तो भर्ती करें – अखिलेश यादव यूपी विधानमंडल मानसून सत्र के आज दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि, सरकार कहती है कि स्टाफ नहीं है तो भर्ती करें। पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पताल में डॉक्टरों को उपलबध करवाएं। सरकार एक तरफ तो मुफ्त इलाज का वादा करती है। दूसरी तरफ सभी तरह की जांच प्राइवेट हाथों में दे रही है। एमआरआई और सिटी स्कैन हर चीज का पैसा लिया जा रहा है। योगी सरकार पर तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि, कहा जाता है कि दिल्ली वाले मदद नहीं करते हैं। दिल्ली वालों को समझाना चाहिए कि दिल्ली की सरकार यूपी से बनती है।
यह भी पढ़े – यूपी विधानमंडल मानसून सत्र के पहले दिन 25 मिनट तक चला सदन, शोक प्रस्ताव के बाद मंगलवार 11 बजे तक के लिए स्थगित मुख्यमंत्री योगी का पलटवार नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, पर उपदेश कुशल बहुतेरे। दूसरों को उपदेश देना आसान है। दुर्भाग्य से प्रदेश में चार बार सपा की सरकार रही है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में पिछले पांच साल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पूर्वांचल में पहले इंसेफलाइटिस से हर साल सैकड़ों मौतें होती थीं पर अब साल दर साल मौतों में कमी होते-होते इस बार एक भी मौत नहीं हुई है। प्रदेश की शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की जितनी बदहाली तथाकथित समाजवादियों ने की उतनी किसी ने नहीं की। सीएम योगी ने कहा कि, स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जो बेहतर से बेहतर हो सकता है वो करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्घ है।
यह भी पढ़े – UP Vidhanmandal Monsoon Session : अखिलेश यादव के पैदल मार्च पर भड़के सीएम योगी कहा, नियम नहीं मानती सपा सपा देगी विशेषाधिकार हनन का सामूहिक नोटिस समाजवादी पार्टी आज विशेषाधिकार हनन का सामूहिक नोटिस सदन में देगी। कल विधानसभा की कार्रवाई में शामिल होने जा रहे सपा कार्यालय से विधानसभा तक विधायकों के पैदल मार्च को पुलिस ने रोक दिया था। जिस पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित सभी विधायक व कार्यकर्ता सड़क पर ही धरने पर बैठ गए थे।
हमें विशेषाधिकार प्राप्त – सपा विधायक सपा विधायक राकेश सिंह ने कहा कि, विधायक सदन में हिस्सा लेने गाड़ी से जाएगा, पैदल जाएगा या साइकिल से जाएगा ये वो खुद तय करेगा। सरकार के इशारे पर सदन में जाने से विधायकों को रोकना अनैतिक व असंवैधानिक है। हमें विशेषाधिकार प्राप्त है। इसलिए हम विशेषाधिकार नोटिस के माध्यम से सदन में इस मामले को उठाएंगे।