सात सीटों पर कड़ा मुकाबला यूपी विधान परिषद की 37 एमएलसी सीटों में छह ऐसी सीटें हैं जहां सपा व भाजपा के बीच आमने-सामने की टक्कर है। ये सीटें मुरादाबाद बिजनौर, लखनऊ उन्नाव, बहराइच, कानपुर फतेहपुर, गोरखपुर महाराजगंज और बलिया हैं। गाज़ीपुर एमएलसी सीट पर भी सिर्फ 2 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है, इसमें एक भाजपा का उम्मीदवार है तो दूसरा निर्दल है।
20 एमएलसी सीटों की राह आसां नहीं बाकी बची 20 एमएलसी सीटों पर 3 या उससे अधिक प्रत्याशी हैं। सबसे अधिक 6-6 प्रत्याशी प्रतापगढ़, मेरठ गाजियाबाद, देवरिया सीट पर हैं। इसके बाद नम्बर आता है उन सीटों का जिन पर पांच-पांच प्रत्याशी हैं। ये सीटें हैं आजमगढ़ मऊ, इलाहाबाद, आगरा फिरोजाबाद और मुजफ्फरनगर सहारनपुर सीट।
9 विजयी प्रत्याशी भाजपा के 9 विजयी प्रत्याशियों के नाम वागीश पाठक (बदायूं), अशोक अग्रवाल (हरदोई), अनूप गुप्ता (खीरी), श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह (मीरजापुर-सोनभद्र), जितेन्द्र सिंह सेंगर (बांदा-हमीरपुर), ऋषिपाल सिंह (अलीगढ़,) नरेन्द्र भाटी (बुलंदशहर), ओम प्रकाश सिंह (मथुरा-एटा-मैनपुरी), आशीष यादव (मथुरा-एटा-मैनपुरी) हैं।।
मौजूद स्थिति – यूपी विधानसभा परिषद में 100 सीटें हैं। जिसमें इस वक्त भाजपा 33, समाजवादी पार्टी 17 बीएसपी 4, कांग्रेस, अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के एक-एक सदस्य हैं। इसके अलावा शिक्षक दल के 2, निर्दलीय समूह के 1 और 1 निर्दलीय एमएलसी हैं। यानी कुल 61 विधायक मौजूद हैं। और 39 सीटें खाली हैं। 39 में से 36 पर चुनाव हो रहे हैं। तीन सीटें योगी आदित्यनाथ, ठाकुर जयवीर सिंह और तीसरी स्व. अहमद हसन की वजह से खाली हुई हैं।
विधान परिषद का कैसे होता है गठन देश के महज 6 राज्यों यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही विधान परिषद है। उप्र विधान परिषद में 100 सीटें होती हैं। उच्च सदन परिषद में 6 साल के लिए विधायक चुने जाते हैं। उच्च सदन के लिए पांच अलग-अलग तरीके से विधायक चुने जाते हैं। 100 में से 36 स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि अपने विधायक को चुनते हैं। 8 विधायक शिक्षक चुनते हैं। 8 विधायक ग्रेजुएट मतदाता चुनते हैं। 10 विधायकों को राज्यपाल मनोनीत करते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं। बाकी बची 38 सीटों पर विधानसभा के विधायक वोट करते हैं और विधान परिषद के विधायक चुनते हैं।
कौन दे सकता है वोट एमएलसी की 36 सीटों पर होने वाले चुनाव में क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, शहरी निकाय, नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के सदस्य अपने मतों का प्रयोग करेंगे। इसके अलावा कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य भी इन चुनावों में मतदान करेंगे।
मौजूदा दलीय स्थिति यूपी उच्च सदन में इस समय सबसे अधिक सपा 48, भाजपा 33, बसपा 6 सदस्य हैं। इन चुनावों में भाजपा विधान परिषद में बहुमत हासिल करना चाहेगी। इसलिए उसका टारगेट में अधिक से अधिक सीटें जीतना होगा। सपा की नजर सीटें बचाने पर होगी। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले होने वाले इन चुनावों को जीतकर पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी मजबूत दावेदारी का संदेश देने में भी जुटेगा।