28 फरवरी तक चुनाव कराने का आदेश अदालत ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह बोर्ड का चुनाव 28 फरवरी तक करवा कर निर्वाचित चेयरमैन को बोर्ड का कार्यभार सौंपे। इसके साथ अदालत ने यह भी कहा है कि 30 सितम्बर 2020 से अब तक बोर्ड द्वारा जो भी निर्णय लिये गये वह मान्य होंगे। यह आदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर और एक अन्य जज की पीठ ने दिया है। वसीमुद्दीन व अन्य बनाम राज्य सरकार और अल्लामा जमीर नकवी व अन्य बनाम राज्य सरकार के दोनों मामलों की सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिया है।
बता दें कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करने और उसके प्रतिवाद कोई पुर्नविचार याचिका दायर करने से इंकार करने के पूरे प्रकरण में जुफर फारूकी चर्चा में थे। अपने बयानों की वजह से वह ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी जैसे संगठनों की आलोचना का शिकार भी हुए थे।
दो बार बढ़ाया कार्यकाल उल्लेखनीय है कि जुफर फारूकी के नेतृत्व में चल रहे उप्र.सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 31 मार्च 2020 को खत्म हो गया था। उसके बाद प्रदेश सरकार ने उनका कार्यकाल पहली अप्रैल से छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। इसके बाद दोबारा उनका कार्यकाल बढ़ाकर 30 सितम्बर 2020 से मार्च, 2021 तक कर दिया गया। अदालत ने प्रदेश सरकार के इस फैसले को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि कोरोना संकट के बावजूद अन्य संस्थाओं के चुनाव करवाये जा रहे थे। ऐसे में सुन्नी वक्फ बोर्ड का चुनाव भी उसी दौरान कराया जाना चाहिए था।