शनिवार को यूपी के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने इस संबंध में आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया है कि ऐसे रोगी जिनकी लैब जांच में कोविड रोग की पुष्टि नहीं होती है लेकिन लक्षणों के आधार पर या एक्स-रे, सीटी स्कैन, ब्लड जांच आदि के आधार पर वे कोरोना के रोगी लगते हैं और इलाज करने वाले डॉक्टर को टेस्ट करने के बाद इस रोग को कोविड रोग का इलाज दिए जाने की जरूरत लगती है, तो ऐसे रोगियों को कोविड रोगी के समान ही इलाज दिया जाना चाहिए।
अलग वार्ड में रखे जाएंगे मरीज आदेश में यह भी कहा गया है कि प्रिजम्टिव कोविड-19 डायग्रोसिस वाले रोगियों को इलाज की सुविधा पहले से बनाए गए कोविड सेंटर पर ही उपलब्ध होगी। ऐसे रोगियों को कोविड सेंटर में अलग वार्ड में रखा जाएगा। इन दिनों ऐसे बहुत से मामले सामने आ रहे हैं जिनमें मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आ रही है लेकिन सीटी स्कैन के दौरान उनमें कोविड से जुड़े लक्षण पाए जा रहे हैं।
एक लाख से ज्यादा एक्टिव केस पिचले 24 घंटों के दौरान यूपी में 27 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। यूपी में कुल एक्टिव केस की संख्या एक लाख पार हो गई है। वहीं, 120 लोगों की जान चली गई है। राजधानी लखनऊ में ही एक दिन में 5913 नए कोविड के मामले सामने आने से स्थिति और खराब हो गई है। लखनऊ के साथ ही प्रदेश में वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, गोरखपुर, झांसी, गाजियाबाद, मेरठ, लखीमपुर खीरी और जौनपुर में भी कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले हैं।