लखनऊ. यूपी सरकार ने पिछले तीन सालों में सूबे के क़रीब 58 हज़ार गरीबों के इलाज पर तीन अरब से ज़्यादा राशि खर्च की है। मुख्यमंत्री ( Chief Minister Yogi Adityanath ) विवेकाधीन कोष से गरीबों व असहायों के मदद के लिए तीन साल में दी गयी कुल राशि 8,91,33,71,542 रुपए है। यह रकम पिछली सरकार के पूरे कार्यकाल में इस याेजना के तहत खर्च हुई राशि से अधिक है।
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योजना बनने से लेकर अब तक दी जाने वाली मदद में यह पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में विवेकाधीन कोष से मदद की गई है। प्रदेश की जनता को परिवार मानने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath ) ने जिस तरह से दिल खाेलकर पैसा दिया है यह उनकी संवेदनशीलता का ही परिणाम है। महज तीन सालों में मुख्यमंत्री ( UP CM Yogi Adityanath ) ने कैंसर व हृदय रोग जैसे तमाम गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए यह कदम उठाया है। देश के 100 से अधिक अस्पतालों के जरिए उन्हाेंने 58,485 गरीब व असहायों की मदद की है। यह भी पढ़ें
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इसके लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 9 अऱब से भी अधिक धनराशि खर्च की गई है। इस तर वह तीन सालों में 58 हजार से अधिक गरीबों व असहायों की मदद करने वाले प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। योजना के शुरुआत से लेकर अब तक किसी भी सरकार ने इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में गरीबों की मदद नहीं की। पिछली सपा सरकार पांच सालों में महज 45 हजार लोगों की मदद कर पाई थी। यह भी पढ़ें
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शासन के प्रयासों से आवेदन करने वाले पात्र गरीबों के इलाज के लिए आर्थिक मदद देने की व्यवस्था में तेजी के निर्देश दिए। देखते ही देखते कैंसर जैसे असाध्य रोग, हृदय रोग व किडनी के प्रत्यारोपण संबंधी एवं दुर्घटनाओं सम्बंधित इलाज के लिए गरीब व असहाय की मरीजों की संख्या 58 हजार पहुंच गई। अब तक इस तरह के गंभीर रोगों के इलाज के लिए 8,91,33,71,542 रुपये दिए जा चुके हैं। 100 से अधिक अस्पतालों में मिल रहा लाभ मुख्यमंत्री के विशेष सचिव के अनुसार गंभीर व असाध्य रोगों के लिए देश भर के 106 सरकारी न निजी अस्पतालों के जरिए योजना का लाभ दिया जा रहा है। अकेले उत्तर प्रदेश में ही करीब 50 अस्पतालों के जरिये योजना का लाभ गरीब परिवारों काे मिल रहा है। इन अस्पतालों के जरिए पिछले तीन सालों में मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से कैंसर के 23,151 मरीजों, हृदय रोग के करीब सात हजार मरीजों व किडनी के प्रत्यारोपण व अन्य किडनी संबंधी बीमारियों में करीब 9 हजार मरीजों के इलाज के लिए सहायता की गई है।