क्या थे आरोप
अभी जिन अधिकारियों पर कार्रवाई गई है उनमें रामजीत मौर्य प्रयागराज में, चौहान श्रावस्ती और अजय कुमार मुरादाबाद में एसडीएम के पद पर हैनात हैं। रामजीत मौर्य पर आरोप है कि जब वह मिर्जापुर में तहसीलदार के पद पर तैनात थे तो उन्होंने निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिये उसे तय सीमा से अधिक जमीन खरीदने के मामले में नियम को ताक पर रखकर आदेश पारित किया था। इस मामले में उनके खिलाफ शिकायत की गई थी। इसी तरह श्रावस्ती में एसडीएम के पद पर तैनात जेपी चौहान पर आरोाप है कि पीलीभीत में एसडीएम रहने के दौरान उन्होंने भी एक व्यक्ति को सरकारी जमीन का लाभ दिलाने के लिये आदेश पारित किया था। इसी तरह मुदाराबाद में तैनात एसडीएम अजय कुमार पर नाएडा अथाॅरिटी में तहसीलदार रहने के दौरान एक व्यक्ति को अथाॅरिटी की जमीन का फायदा पहुंचाने के लिये नियमों के विरुद्घ जाकर पत्र लिखा।
सरकार ने की कार्रवाई
तीनों के खिलाफ शिकायत के बाद सरकार ने इनके विरुद्घ कार्रवाई में देर नहीं की। दो मामलेां में जांच के बाद शासन ने एसडीएम प्रयागराज रामजीत मौर्य और एसडीएम श्रावस्ती जेपी चौहान को पदावनत करने का प्रस्ताव राज्य लोक सेवा आयोग को भेजा था। हालांकि शासन की ओर से मुरादाबाद में एसडीएम अजय कुमार की दो वेतन वृद्घियां रोकने का प्रस्ताव दिया गया था। पर आयोग ने दंड कम होने का तर्क देते हुए उनके खिलाफ भी पदावनति की कार्रवाई करने की संस्तुति कर दी। आयोग से सहमति मिलते ही शासन के नियुक्ति विभाग तीनों को पदावनत करते हुए राजस्व परिषद से संबद्घ कर दिया गया है।
चार अधिकारियों को बनाया था चपरासी और चौकीदार
इसके पहले इसी साल जनवरी के महीने में योगी सरकार ने बरेली के फिरोजाबाद, भदोही और मथुरा के अपर जिला सूचना अधिकारियों को पदावनत कर उनके मूल पदों पर भेज दिया था। बरेली में तैनात अपर जिला सूचना अधिकारी नरसिंग को पदावनत कर चपरासी, फिरोजाबाद के अपर जिला सूना अधिकारी दया शंकर को चौकीदार, अपर जिला सूचा अधिकारी के रूप में प्रोन्नत मथुरा के विनोद कुमार शर्मा और भदोही के अनिल कुमार सिंह को भी पदावनत कर सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक के रूप में उनके पुराने पद पर वापस लौटाया जा चुका है। इन सबपर नियम विरुद्घ प्रमोशन पाकर अधिकारी बनने का आरोप था।