मनीष मिश्रा ने बताया, “अजीत सिंह ने मुख्तार अंसारी से कहा था कि लखनऊ में आपका सरकारी आवास है। उसमें आप रहोगे। यहां पर आपकी हुकूमत नहीं चलेगी। ये टकराव इतना बढ़ गया कि लखनऊ में उस समय के कैबिनेट मंत्री होते थे प्रतापगढ़ के कुंडा इलाके के रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया। उनको मध्यस्थता करनी पड़ी। उनको दोनों को समझाने के लिए बैठना पड़ा। कैबिनेट मंत्री रहते हुए राजा भैया ने विधानसभा में अपने कार्यालय में एक पंचायत बुलाई। उस डॉन पंचायत में सभी माफिया इकट्ठा हुए। उसमें अभय सिंह, धनंजय सिंह, सोनू, मोनू, अजीत सिंह, अतीक के लोग हरिशंकर तिवारी के लोग मुख्तार अंसारी के लोग इकट्ठा हुए।”
राजा भैया ने उसमें मध्यस्थता कराई कि हम बस आपस में लड़ेगे तो सबके सब खत्म हो जांएगे। आप लोग अपने-अपने क्षेत्र में सीमित रहिए। जैसे मऊ का कोई टेंडर है, गाजीपुर का टेंडर है तो पहले उस जिले के माफिया को मिलनी चाहिए। जैसे बनारस का कोई टेंडर है, चाहे वो पीडब्ल्यूडी का हो राजकीय निर्माण निगम का हो सिंचाई विभाग का हो पहली प्राथमिकता उस जिले के माफिया को देना चाहिए। अगर वो नहीं ले रहे हैं तो कोई भी टेंडर डालो। गोरखपुर का कोई टेंडर हो तो हरिशंकर तिवारी को प्राथमिकता मिलेगी। फैजाबाद अयोध्या का कोई टेंडर है तो अभय सिंह को मिलना चाहिए। लखनऊ का है तो अजीत सिंह तय करेंगे। अगर ये नहीं ले रहे हैं तो कोई भी डाल दे। ये डॉन पंचायत बहुत ही चर्चित डॉन पंचायत थी।