लखनऊ

UP Election 2022: यूपी की राजनीति में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट, राष्ट्रमंच की हो सकती है एंट्री, PK बढ़ाएंगे भाजपा की टेंशन

– UP Election 2022: प्रशांत किशोर (Prashant Kishor PK) के जरिए ममता बनर्जी, शरद पवार और नीतीश यूपी में संभावनाएं तलाशने में जुटे।

लखनऊJul 08, 2021 / 07:48 am

नितिन श्रीवास्तव

यूपी की राजनीति में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट, राष्ट्रमंच की हो सकती है एंट्री, PK बढ़ाएंगे भाजपा की टेंशन

लखनऊ. UP Election 2022: कोरोना महामारी की दूसरी लहर का कहर कुछ थमते ही देश के सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के योद्धा सियासी जोर आजमाइश में जुटने लगे हैं। विपक्ष का मुख्य एजेंडा अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत से रोकना और आम चुनाव 2024 के लिए एनडीए के खिलाफ तीसरा मोर्चा बनाना है। तो वहीं इस बार राष्ट्र मंच भी यूपी के सियासी जंग में कूद सकता है। अगर ऐसा हुआ तो चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor PK) भी यूपी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। हालांकि यूपी में राष्ट्रमंच की आहट से भाजपा के नेता अनजान नहीं हैं। भाजपा और संघ ने इसको लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है। प्रदेश में लगातार बैठकों का दौर जारी है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह लखनऊ दौरे कर मैराथन बैठकें कर रहे हैं। जिसमें विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बन रही हैं।
राजनीतिक जमीन खोज रहे राजनीतिक दल

दरअसल इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में कई राजनीतिक दल देश के इस बड़े यूपी में अपनी राजनीतिक जमीन खोजने की तैयारी कर रहे हैं। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी पहले ही 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। इसके अलावा कई छोटे दल सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने का विचार कर रहे हैं। तो वहीं सुहेलदेव समाज पार्टी भी भाजपा के खिलाफ बिगुल फूके हुए है। आम आदमी पार्टी भी यूपी में ताल ठोक चुकी है, लेकिन निगाहें राष्ट्र मंच पर टिकी हुई हैं जो खुद को तीसरा विकल्प बता रहा है।
पीके बढ़ाएंगे बीजेपी की टेंशन

प्रशांत किशोर के जरिए ममता बनर्जी, शरद पवार और नीतीश कुमार यूपी में संभावनाएं तलाशने में जुटे हैं। ऐसे में अगर इनकी इंट्री हुई तो पीके सत्तारूढ़ दल की चिंता बढ़ा सकता है। कारण यह भी है कि बीते दिनों पश्चिम बंगाल के चुनाव भाजपा के पक्ष में नहीं रहे थे। वहां भी प्रशांत किशोर ने बड़ी भूमिका निभाई थी। हालांकि नीतीश कुमार के बारे में अभी कुछ कह पाना मुश्किल है, क्योंकि जदयू केंद्र में भाजपा की सहयोगी है। लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि उत्तर प्रदेश में अगर पीके आये तो वर्तमान में सत्तारूढ़ दल के लिए चुनौती बढ़ेंगी। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सरकार की छवि को धक्का लगा है। इसका फायदा दूसरे दल उठा सकते हैं।
पश्चिमी यूपी में भाजपा के सामने चुनौती

वहीं इसके अलावा पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन की वजह से भी भाजपा को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उधर कुछ दिन पहले ही टीएमसी के यशवंत सिन्हा ने राकेश टिकैत से मुलाकात की थी। राकेश टिकैत पहले से ही कहते आए हैं कि वह चुनाव के दौरान भी जनसभाएं करेंगे और लोगों से भाजपा को वोट न देने की अपील करेंगे। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वह किसको वोट देने की अपील करेंगे। लेकिन ऐसे में एक बात तय है कि किसान संगठन भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचाने का काम करेंगे।
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