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लखनऊ

Uttar Pradesh Assembly election 2022: चुनाव जीतने के लिए विपक्षी एकता पर जोर, छोटे दल एकजुट होंगे

 
UP Assembly Election 2022 Updates:
– सपा के साथ जा सकता है अपना दल
– भागीदारी संकल्प मोर्चा बढ़ा रहा आकार
– किधर जाएंगे आप और ओवैसी
– प्रियंका गांधी की छवि बचाने में जुटी कांग्रेस

लखनऊJun 06, 2021 / 09:18 am

नितिन श्रीवास्तव

Uttar Pradesh Assembly election 2022: चुनाव जीतने के लिए विपक्षी एकता पर जोर, छोटे दल एकजुट होंगे

Uttar Pradesh Assembly election 2022: चुनाव जीतने के लिए विपक्षी एकता पर जोर, छोटे दल एकजुट होंगे

लखनऊ.

के लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है। बीजेपी अपने संगठन को दुरुस्त करने के लिए मंथन में जुटी है तो सपा छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन बनाने में जुटी है। इसी क्रम में अखिलेश यादव अपना दल एस को एनडीए से तोड़कर अपने साथ लाने में लगे भी हैं। तो बसपा भी पूरी ताकत के साथ संगठन के पेंच कस रही है। वहीं कांग्रेस अभी भी इसी कश्मकश में फंसी हुई है कि कैसे प्रियंका गांधी की छवि और लोकप्रियता को बचाए रखा जाए, क्योंकि अगर 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी कुछ बेहतर नहीं कर पाई तो उसका सीधा असर प्रियंका गांधी पर पड़ेगा। ऐसे में कांग्रेस तय नहीं कर पा रही हैं कि वो अकेले या फिर गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरे। तो वहीं एआईएमआईएम चीफ ओवैसी और नौ छोटे दलों के साथ भागीदाारी संकल्प मोर्चा बनाकर यूपी की सत्ता हासिल करने की कवायद में जुटे सुभासपा मुखिया पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सपा-बसपा के सामने गठबंधन का विकल्प रख राजनीतिक गलियारे में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। हालांकि आईएएमआइएम चीफ ओवैसी और प्रदेश में सियासी जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी ने अभी तक अपने सियासी पत्ते नहीं खोले हैं कि वह यूपी विधासभा चुनाव (up election 2022) के मुकाबले में किसकी तरफ रहेंगे।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब सात महीने से भी कम का समय बचा है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने युपी विधानसभा इलेक्शन से पहले गठबंधन के लिए नए साथियों को तलाशना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तमाम छोटी-छोटी पार्टियों को अपने पाले में लाना शुरू भी कर दिया है। सपा फिलहाल बड़ी पार्टियों से दूरी बनाकर यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (2022 Uttar Pradesh Assembly election) की रणनीति बना रही है। सूत्रों की अगर मानें तो अखिलेश यादव बीजेपी को प्रदेश की सत्ता में दोबारा आने से रोकने के लिए अपना दल (सोनेलाल) को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इसके लिए कई नेताओं को लगा रखा है। दरअसल पूर्वांचल में कुर्मी जाति पर पार्टी की अच्छी पकड़ मानी जाती है। अपना दल (एस) के उत्तर प्रदेश में नौ विधायक हैं। खुद अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद हैं। साथ ही अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) के पति आशीष पटेल (Ashish Patel) को भी योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) में मंत्री पद नहीं मिला। अपना दल (एस) (Apna Dal S) को केंद्र और यूपी में कोई पद नहीं मिलने से पार्टी बीजेपी से नाराज भी चल रही है। पूअखिलेश यादव इसी का फायदा उठाकर अपना दल (एस) को अपने साथ लाना चाहते हैं।
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भागीदारी संकल्प मोर्चा बढ़ा रहा आकार

एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ ओवैसी और नौ छोटे दलों के साथ भागीदाारी संकल्प मोर्चा (Bhagidari Sankalp Morcha) बनाकर यूपी की सत्ता हासिल करने की कवायद में जुटे सुभासपा मुखिया पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने सपा-बसपा के सामने गठबंधन का विकल्प रख राजनीतिक गलियारे में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। ओमप्रकाश ने साफ कर दिया है कि वे सपा के साथ गठबंधन कर सकते है। अगर किन्ही कारणों से सपा से गठबंधन नहीं हुआ तो उनका मोर्चा बसपा से हाथ मिलाने में भी कोई गुरेज नहीं करेगा। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि प्रदेश के हालात काफी खराब है। सरकार और नौकराशाह भ्रष्टाचार में डूबे हैं जिसके कारण आम आदमी को न्याय नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने जनता का विश्वास खो दिया है। यूपी में भागीदारी संकल्प मोर्चा विकल्प के रूप में उभर रहा है।
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किधर जाएंगे आप और ओवैसी

एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की बिहार (Bihar) के बाद अब यूपी (UP) पर नजर है। उधर लगातार दो बार दिल्ली विधानसभा का किला फतह करने के बाद आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party AAP) भी बुलंदियों की ख्वाहिश संजोए है। यूपी में फिलहाल पार्टी का स्पष्ट वोट बैंक नहीं है। जातिगत गठजोड़ के बीच कामयाबी मिलना आसान भी नहीं है। लेकिन आप के नेता आगामी यूपी विधानसभा चुनाव के लिए जितोड़ मेहनत में जुटे हैं।
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कैसे बचेगी प्रियंका गांधी की छवि

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं और उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी चुनावी मैदान में उतरेगी। पिछले काफी लंबे समय से सूबे की योगी सरकार के खिलाफ वह मोर्चा खोले हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस को चिंता है कि अगर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कुछ बेहतर नहीं कर पाई तो उसका सीधा असर प्रियंका गांधी की छवि और लोकप्रियता पर पड़ेगा। हालांकि पार्टी ने अभी प्रियंका गांधी को यूपी चुनाव के लिए सीएम फेस नहीं बनाया है।

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