लखनऊ

Uttar Pradesh Assembly election 2022 : भाजपा की विस्तार नीति के मुकाबले के लिए छोटे दलों का महागठबंधन

Uttar Pradesh Assembly election 2022 Updates अखिलेश के तेवर नरम, चाचा के साथ जयंत और रावण को जोड़कर यूपी फतेह की तैयारी

लखनऊJun 10, 2021 / 01:03 pm

Mahendra Pratap

पत्रिका पोलिटिकल स्टोरी
महेंद्र प्रताप सिंह

लखनऊ. UP Assembly Election 2022 Updates कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) भाजपा (BJP) में शामिल हो गए हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा के चाणक्य अमित शाह (Amit Shah) की नजर अब सपा (SP)और बसपा (BSP) के नाराज कद्दावर नेताओं पर है। चर्चा है हर पार्टी में जातीय स्तंभ नेताओं को भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले तोड़ना चाहती है। इससे सपा, बसपा और कांग्रेस (Congress) में खलबली है। मायावती (mayawati) तो वैसे भी अकेली पड़ती जा रही हैं, उनके सिर्फ सात विधायक बचे हैं। कांग्रेस रायबरेली तक सिमट कर रह गयी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) इन स्थितियों में अपना किला बचाने के लिए छोटे दलों का महागठबंधन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। ताकि चुनाव में मतों का बिखराव रोका जा सके।
Uttar Pradesh Assembly election 2022: यूपी में भाजपा के ब्राह्मण चेहरा हो सकते हैं जितिन प्रसाद

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर रावण से अखिलेश यादव की कई चरण में वार्ता हो चुकी है। नाराज चल रहे चाचा शिवपाल सिंह यादव के प्रति भी अखिलेश की तल्खी कम हुई है। पूर्वी यूपी में प्रभावशाली अपना दल की अनुप्रिया पटेल और भारतीय सुहेलदेव राजभर पार्टी के ओमप्रकाश राजभर को भी सपा की तरफ से न्योता भेजा जा चुका है। एक तरह से महागठबंधन की बुनियाद पड़ चुकी है।
क्षेत्रीय क्षत्रपों की एकजुटता जरूरी

उप्र में विधानसभा (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) की 403 सीटें हैं। यहां बहुमत के लिए 202 विधायकों की जरूरत होती है। अखिलेश यादव को पता है कि हिंदुत्व राष्ट्रवाद के रथ पर सवार बीजेपी को हराने के लिए वोटों के बंटवारे को रोकना बेहद जरूरी है। यह तभी संभव है जब सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों एकजुट हों। और एक ऐसा मजबूत गठबंधन बने जो जनता को यह भरोसा दिला सके कि यह गठबंधन भाजपा को हरा सकता है।
पहल पश्चिमी उत्तर प्रदेश से

महागठबंधन बनाने की पहल सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पश्चिमी उप्र से की है। यहां किसान आंदोलन की वजह से भाजपा के प्रति लोगो में नाराजगी है। ऐसे में एक बार फिर रालोद के प्रति जनता का झुकाव बढ़ा है। इसी का फायदा उठाते अखिलेश ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में कुछ जिलों में रालोद प्रत्याशियों को समर्थन का एलान किया है। राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) का कई जिलों में जाट समुदाय में अच्छा जनाधार है, एसपी को भी यहां के मुसलमानों का अच्छा समर्थन हासिल है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की आबादी 17 प्रतिशत और मुसलमानों की आबादी 26 फीसदी है। यहां कुछ जिलों में दलितों का भी अच्छा प्रभाव है इसलिए आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर उर्फ रावण को भी गठबंधन में शामिल करने की कवायद जारी है। इन तीनों का वोट इस संभावित गठबंधन को मिला तो सियासी समीकरण बदल सकता है। कुछ सीटों पर प्रभाव रखने वाले महान दल को सपा पहले से ही अपने गठबंधन में शामिल कर चुकी है।
पूर्वी यूपी का किला मजबूत करने तैयारी

पूर्वी उप्र में कई छोटे-छोटे दल सक्रिय हैं। इनमें पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा काफी सक्रिय है। राजभर ने भागीदारी संकल्प मोर्चा के नाम से एक गठबंधन बनाया है। इसमें अब तक दस दल जुड़ चुके हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, के अलावा पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की राष्ट्रीय अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी, कृष्णा पटेल का अपना दल, ओवैसी की एआईएमआईएम इसमें शामिल हैं। अखिलेश ने अपना दल के एक और गुट अनुप्रिया पटेल की तरफ भी दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। अनुप्रिया भाजपा की सहयोगी हैं लेकिन इन दिनों वह पार्टी से नाराज चल रही हैं।
..तो चाचा भी मान जाएंगे

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कुछ दिन पहले अखिलेश यादव और शिवपाल को एकजुट होने के लिए कहा था। माना जा रहा है कि अपने रुठे हुए चाचा शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश मना लेंगे और और उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को भी अपने गठबंधन में शामिल करेंगे।
नेताओं ने भावी गठबंधन का स्वागत किया

सपा के वरिष्ठ नेता सुनील यादव भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि जो छोटे दल साथ आना चाहते हैं, सपा उनका स्वागत करेगी। आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण ने भी कहा है कि उनकी पार्टी एसपी और आरएलडी के गठबंधन में शामिल हो सकती है। उन्होंने कहा-बीजेपी को रोकने के लिए बड़े गठबंधन की ज़रूरत है।

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