कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने राज्य सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिये ऑक्सीजन, बेड, दवाइयां, आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी इतनी भयावहता के बाद भी इतने लंबे समय तक दूर क्यूों नहीं की गई, क्या ये कुछ संगठित गिरोहों को फायदा पहुंचाने के खेल प्रतीत नहीं होता है? ये कलंकित व्यापार कब रुकेगा? लेवल-1, लेवल-2 और लेवल-3 तक के बेड के अस्पतालों में संख्या पहले की अपेक्षा क्यूों घट गयी? कोविड महामारी की दूसरी लहर की चेतावनी विभिन्न विषेज्ञों द्वारा पहले ही दी जा चुकी थी फिर इससे लड़ने के लिए आवश्यक प्रबन्ध क्यूों नहीं किये गए, आखिर तथाकथित टीम 11 कर क्या रही थी?
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सीएमओ की रेफरल पर्ची की अनिवार्यता क्यों?
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कोरोना संक्रमित मरीजों की भर्ती के लिये सीएमओ की रेफरल पर्ची की अनिवार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि मरीजों को इलाज उपलब्ध कराने के बजाय लंबी प्रक्रिया में उलझा देना सर्वथा अनुचित और अमानवीय है। कोविड पॉजिटिव अथवा नेगेटिव रिपोर्ट वाले कोरोना के लक्षण युक्त मरीजों को सीधे कोविड अस्पताल में भर्ती करने के स्थान पर सीएमओ की रेफरल पर्ची की अनिवार्यता के चंगुल में फंसाकर समय से इलाज से दूर करना बढ़ती मौतों का सबसे बड़ा कारण बन गया है। व्यवहारिकता व चिकित्सक की सलाह के आधार पर तत्काल मरीज को इलाज देने में सरकार की यह बाध्यता सबसे बड़ी रुकावट है।
रेफरल पर्ची की अनिवार्यता तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए उंन्होने कहा कि गांव और गरीबों के लिए सरकार की कोरोना काल की दूसरी लहर में क्या व्यवस्थाएं हैं। क्योंकि दूसरी लहर का प्रकोप गांव और गरीबो को अपनी गिरफ्त में तेजी के साथ ले रहा है। जब प्रदेश की राजधानी के साथ ही वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर और आगरा जैसे महानगरों की दुर्दशा हो गयी है तब गांव की स्थिति की कल्पना ही रूह कँपा देने वाली है। ऐसे में सरकार बताए उसकी ग्रामीण क्षेत्रों के बचाव और इलाज की क्या व्यवस्था है।