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सियासी पृष्ठभूमि और इतिहास
करहल विधानसभा सीट पर सपा का हमेशा से वर्चस्व रहा है, जहां अखिलेश यादव ने खुद 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की थी। इस बार उपचुनाव इसलिए हो रहा है क्योंकि अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद करहल से इस्तीफा दे दिया था। करहल यादव बाहुल्य क्षेत्र है, जहां यादव मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है। इसके अलावा, शाक्य, ब्राह्मण, और मुस्लिम मतदाताओं का भी प्रभावी योगदान है। यह भी पढ़ें
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भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव का परिवार भी राजनीति में पुराना रहा है। उनकी मां उर्मिला यादव दो बार विधायक रह चुकी हैं और उनकी पत्नी संध्या यादव मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। दूसरी ओर, तेज प्रताप यादव पहले से ही समाजवादी पार्टी के एक प्रमुख चेहरे हैं और अपने परिवार के साथ समाजवादी विचारधारा से जुड़े हुए हैं।चुनावी रणनीतिया और बयानबाजी
भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव ने अपनी चुनावी रणनीति में “परिवारवाद की राजनीति” के खिलाफ आवाज उठाई है और इसे भाजपा की राष्ट्रप्रेम की राजनीति से जोड़ते हुए अपनी जीत को सुनिश्चित बताया है। वहीं, सपा के तेज प्रताप यादव ने भाजपा के खिलाफ अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अपने पारिवारिक समर्थन और यादव बाहुल्य क्षेत्र में पार्टी की पुरानी पकड़ पर जोर दिया है। यह भी पढ़ें
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जातिगत समीकरण और चुनौतिया
करहल विधानसभा का जातिगत समीकरण यादवों के अलावा शाक्य और अन्य पिछड़ी जातियों पर निर्भर करता है। अनुसूचित जाति के 50 हजार से अधिक मतदाता भी यहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन जातिगत समीकरणों के बीच, भाजपा और सपा दोनों ही अपनी रणनीतियों को जातिगत समीकरणों के आधार पर बना रही हैं, जिससे मुकाबला और भी रोमांचक होता जा रहा है। यह भी पढ़ें