करहल
मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट पर सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव वर्ष 2022 में जीते थे। लोकसभा चुनाव में कन्नौज से सांसद होने के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया। सपा ने यहां से तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। इस सीट पर यादव-मुस्लिम गठजोड़ खासा मजबूत रहता है।कुंदरकी
संभल की कुंदरकी विधानसभा सीट से सपा के जियाउर्रहमान बर्क विधायक थे। यह सीट उनके सांसद बनने के बाद खाली हुई। सपा इस सीट पर 2012-17 और 2022 में जीत दर्ज कर चुकी है। यह सीट मुस्लिम आबादी बहुल होने के कारण भाजपा के लिए चुनौती है।सीसामऊ
कानपुर नगर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर वर्ष 2022 में सपा के उम्मीदवार हाजी इरफान सोलंकी जीते थे। सपा ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को यहां से टिकट दिया है। यहां पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव है।मीरापुर
मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर 2022 में रालोद के चंदन चौहान विधायक बने थे। उनके बिजनौर के सांसद चुने जाने से यह सीट खाली हुई है। वर्ष 2012 में यहां बसपा तो 2017 में भाजपा जीती इस सीट पर जाट, दलितों के साथ ही मुस्लिम मतदाता का प्रभाव है।खैर
अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से भाजपा के अनूप प्रधान वाल्मीकि विधायक थे। अनूप हाथरस से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं। वर्ष 2012 में रालोद और 2017 में भाजपा ने यह सीट जीती थी। यहां जाट, ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम मतदाता अच्छी तादाद में हैं। यह भी पढ़ें
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गाजियाबाद
गाजियाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा के अतुल गर्ग विधायक थे। वह भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे। वह अब सांसद हो गए हैं। इसके बाद यह सीट खाली हो गई। शहरी सीट होने के कारण यहां सवर्ण मतदाता बहुल है। दलित वोटर भी अच्छे-खासे हैं।मझवां
मझवां विधानसभा उपचुनाव मिर्जापुर जिले की मझवां सीट भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के विनोद बिंद के इस्तीफे की बाद खाली हुई है। सपा ने पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर बिंद, राजभर जाति के अलावा कुर्मी समाज के मतदाता निर्णायक स्थिति में रहते हैं। ब्राह्मण वोटर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह भी पढ़ें