पराली जलाने के मामले घटे: बड़ी उपलब्धि
योगी सरकार के प्रयासों का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में पिछले सात वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।2017 में पराली जलाने के 8,784 मामले दर्ज किए गए थे।
2023 में यह संख्या घटकर 3,996 रह गई।
कुल मिलाकर 4,788 मामलों की कमी दर्ज की गई।
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फसल अवशेष का 100% निस्तारण: एक नया रिकॉर्डप्रदेश में हर साल लगभग 2.096 करोड़ मीट्रिक टन पराली का उत्पादन होता है। योगी सरकार की नई रणनीतियों के तहत इसे अलग-अलग तरीकों से निस्तारित किया जा रहा है।
34.44 लाख मीट्रिक टन पराली चारे के रूप में उपयोग की जा रही है।
16.78 लाख मीट्रिक टन पराली अन्य उपयोगों में लाई जा रही है।
शेष 1.58 करोड़ मीट्रिक टन पराली को इन-सीटू और एक्स-सीटू मैनेजमेंट के माध्यम से निस्तारित किया गया।
16.78 लाख मीट्रिक टन पराली अन्य उपयोगों में लाई जा रही है।
शेष 1.58 करोड़ मीट्रिक टन पराली को इन-सीटू और एक्स-सीटू मैनेजमेंट के माध्यम से निस्तारित किया गया।
पराली जलाने की घटनाओं में कमी के पीछे अहम कारण
1. औद्योगिक और घरेलू उपयोग को प्रोत्साहनधान के भूसे को औद्योगिक और घरेलू उत्पादों में उपयोग करने की पहल ने किसानों को आय के नए स्रोत प्रदान किए हैं।
2. जैविक खेती और लीफ कम पोस्ट वेस्ट (LCV)
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खेती और एलसीवी का प्रयोग किया जा रहा है। 3. चेतना अभियान और बेहतर प्रबंधन
सरकार द्वारा किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए गए। इसके तहत पराली न जलाने के फायदे और वैकल्पिक उपयोग के तरीकों पर जोर दिया गया।
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खेती और एलसीवी का प्रयोग किया जा रहा है। 3. चेतना अभियान और बेहतर प्रबंधन
सरकार द्वारा किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए गए। इसके तहत पराली न जलाने के फायदे और वैकल्पिक उपयोग के तरीकों पर जोर दिया गया।
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4. पराली के औद्योगिक उपयोगसरकार ने पराली से कम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG) बनाने के प्लांट स्थापित करने की पहल की है।
पराली जलाने के मामले: जिलों का प्रदर्शन
जिन जिलों ने बेहतर पराली प्रबंधन किया, उनमें उल्लेखनीय प्रदर्शन देखने को मिला: महाराजगंज: 468 मामले
झांसी: 151 मामले
कुशीनगर: 118 मामले
फतेहपुर: 111 मामले
पराली से कम्प्रेस्ड बायोगैस के उत्पादन से रोजगार के नए अवसर पैदा हुए।
फसल अवशेष प्रबंधन के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि हुई।
झांसी: 151 मामले
कुशीनगर: 118 मामले
फतेहपुर: 111 मामले
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
योगी सरकार की योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।पराली से कम्प्रेस्ड बायोगैस के उत्पादन से रोजगार के नए अवसर पैदा हुए।
फसल अवशेष प्रबंधन के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि हुई।
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पराली प्रबंधन के फायदे
1. प्रदूषण में कमीपराली जलाने की घटनाओं में कमी के चलते वायु प्रदूषण में भारी गिरावट आई है। 2. किसानों की आय में वृद्धि
फसल अवशेषों के वैकल्पिक उपयोग से किसानों की आमदनी में इजाफा हो रहा है।
3. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार
जैविक खेती और एलसीवी के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ी है।
जैविक खेती और एलसीवी के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ी है।
सरकार की प्राथमिकता: पर्यावरण संरक्षण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि पराली के प्रबंधन के लिए हर स्तर पर सख्ती से काम किया जाए। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने हाल ही में समीक्षा बैठक कर इस दिशा में और तेजी लाने का आदेश दिया है। यह भी पढ़ें
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हवा में प्रदूषण का स्तर घटा
पराली जलाने की घटनाओं में कमी से एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में सुधार हुआ है।ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वच्छ हवा का अनुभव किया जा रहा है।
योगी सरकार की उपलब्धि: आंकड़ों में नजर
2017: पराली जलाने के 8,784 मामले।
2023: केवल 3,996 मामले।
कुल मिलाकर 7 सालों में 4,788 मामलों की कमी।
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