लेकिन इकॉनमी के जानने वाले इसे एक बहुत मुश्किल टास्क मानते हैं। क्योंकि उसके लिए जिस विकास दर की जरूरत होगी, उतनी आज तक किसी प्रदेश की अर्थव्यवस्था ने हासिल नहीं की है। हम दो अर्थशास्त्रियों के बयान के हवाले से इस पूरी बात को रख रहे हैं…
फिलहाल यूपी की इकॉनमी 220 बिलियन डॉलर
अर्थशास्त्री प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा कहते हैं, ‘उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था इस समय तकरीबन 220 बिलियन डॉलर की है। एक ट्रिलियन में एक हजार बिलियन होते हैं। ऐसे में 1 ट्रिलियन के टारगेट के लिए यूपी की इकॉनमी को 4 गुना से भी ज्यादा बढ़ाना है।’
लखनऊ के रहने वाले प्रोफेसर मेहरोत्रा कहते हैं कि 220 बिलियन को दोगुना करने के लिए आने वाले 5 साल में प्रदेश की विकास दर का 14% पर रहना जरूरी है। 5 साल तक 14% की विकास दर रहती है तो 440 बिलियन की इकॉनमी यूपी की हो जाएगी।
14 फीसदी की विकास दर के बाद भी सिर्फ 440 तक पहुंचेंगे। 1 ट्रिलियन के लिए तो 32% की विकास दर चाहिए। बीते दस साल की बात करें तो 2016-17 में प्रदेश की विकास दर सबसे ज्यादा रही थी, जब ये 11% तक पहुंची थी। 2021-22 में भी 11 फीसदी तक विकास दर पहुंची थी। ऐसे में 5 साल में 1 ट्रिलियन होना तो करीब-करीब असंभव लगता है।
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32% से नहीं हो सकती बढोतरीअर्थशास्त्री प्रोफेसर अरविंद मोहन कहते हैं, हमें 1 ट्रिलियन के लक्ष्य के लिए अपनी GDP को 4 गुना बढ़ाना है। इसके लिए सालाना 32% ग्रोथ रेट की जरूरत होगी। सरकार भारी निवेश की बात कर रही है लेकिन सिर्फ इन्वेस्टमेंट से इसे हासिल नहीं किया जा सकता है। निवेश के साथ ये भी देखा जाए कि इससे रोजगार कितना पैदा होगा, जब तक रोजगार पैदा करने वाली ग्रोथ नहीं होगी, प्रदेश को आगे बढ़ाना मुश्किल है।
अरविंद मोहन का कहना है कि यूपी की अर्थव्यवस्था खेती के इर्द-गिर्द धूमती है। बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है। खेती पर जितना बड़ा हिस्सा निर्भर है, उतना ध्यान सरकार खेती पर देती नहींं दिख रही है। ऐसे में भी इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल है।