कर्नाटक के शिवमोगा की रामचंद्रपुरा मठ के प्रमुख राघवेश्वरा भारती ने अब हनुमान जी का जन्मस्थान कर्नाटक के उत्तरा कन्नड़ जिले के तीर्थस्थल गोकर्ण को बताया है। उन्होंने रामायण का जिक्र करते हुए कहा है कि हनुमान ने सीताजी को बताया था कि उनका जन्म समुद्र तटीय गोकर्ण में हुआ था। किष्किन्धा में अंजनद्री उनकी कर्मभूमि थी। जबकि, कर्नाटक में इससे पहले यह कहा जाता था कि हनुमानजी का जन्म हकोप्पल जिले के एंगुंडी के पास किष्किंधा में अंजनद्री पहाड़ी पर हुआ था। वहीं आंध्र प्रदेश ने दावा किया है कि हनुमान जी की जन्मभूमि तिरुपति की सात पहाडिय़ों में से एक अंजनद्री था।
इस विवाद को सुलझाने के लिए तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने एक विशेषज्ञ पैनल गठित किया है। 21 अप्रेल को यह पैनल अपनी अध्ययन रिपोर्ट देगा। पैनल में वैदिक विद्वान, पुरातत्वविद और इसरो वैज्ञानिक शामिल हैं। अयोध्या के प्रमुख संतों का कहना है कि रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में हनुमान की जन्मस्थली कनार्टक के अंजनद्री का ही जिक्र है। साधु समाज इसी स्थल को ही मान्यता देता है।
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कर्नाटक के किष्किंधा में 215 मीटर ऊंची हनुमान प्रतिमा
पिछले साल नवंबर माह में हम्पी स्थित हनुमद जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख स्वामी गोविंद आनंद सरस्वती ने अयोध्या में राममंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास से भेंट के बाद कर्नाटक में ही हनुमान की जन्मस्थली बताते हुए कर्नाटक के पम्पापुर किष्किंधा में भगवान हनुमान की 215 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाने की बात कही थी। उनका कहना था कि रामायण में वर्णित किष्किंधा हम्पी के पास ही स्थित है। हम्पी यूनेस्को का विश्व विरासत स्थल भी है। तब सरस्वती ने बताया था कि प्रतिमा की स्थापना में 1,200 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके बाद 4 मार्च 2021 को एक बार फिर स्वामी गोविंदा आनंद ने हनुमानगढ़ी का दर्शन किया था। तब उन्होंने कहा था कि हनुमान जन्मस्थली के विकास के लिए उनका ट्रस्ट समूचे भारतवर्ष में 12 साल तक रथ यात्रा चलाएगा।
गोविंद आनंद ने तब पत्रकार वार्ता में बताया था कि पंपा क्षेत्र के हंपी गांव के आसपास कई हनुमान मंदिर हैं। इस क्षेत्र में अन्य कई त्रेता युग की मान्यता से जुड़े मंदिर स्थापित हैं। यहां ब्रह्माजी का बनाया पम्पा सरोवर, बाली की गुफा और सुग्रीव का निवास स्थान ऋषम्यूक पर्वत भी है। चिंतामणि मंदिर, जहां से राम ने बाली के ऊपर तीर चलाया था, वो भी इसी जगह के अंतर्गत आता है। गौरतलब है कि बेल्लारी जिले के अंतर्गत आने वाले किष्किंधा के दूसरे भाग में भगवान राम ने जहां चार्तुमास किया था, वो माल्यवंत पर्वत और हनुमान आदि वानरों ने सीता का पता लगाकर लौटते वक्त जिस वन में फल खाए थे, वो मधुवन यहां पड़ता है।