लखनऊ

गैर मान्यता प्राप्त मदरसों पर प्रशासन का शिकंजा, दिया सर्वे का आदेश

प्रदेश में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों पर सर्वे करवाने की बात कही गई है। आदेश में कहा गया है कि 10 सितंबर तक इस सर्वे के लिए टीम का गठन किया जाएगा।

लखनऊSep 01, 2022 / 10:39 am

Jyoti Singh

प्रदेश में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों पर प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में शासन के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी ने एक आदेश जारी किया है। जिसमें गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे करवाने की बात कही गई है। आदेश में कहा गया है कि 10 सितंबर तक इस सर्वे के लिए टीम का गठन किया जाएगा। इस टीम में संबंधित तहसील के उप जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल होंगे। ये टीम अपर जिलाधिकारी प्रशासन के निर्देशन में मदरसों का सर्वे करेगी। उसके बाद रिपोर्ट अपर जिलाधिकारी प्रशासन के माध्यम से जिलाधिकारी को प्रस्तुत करेगी। टीम को पांच अक्तूबर तक यह सर्वे पूरा करना होगा।
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10 अक्तूबर तक रिपोर्ट करनी होगी पेश

बता दें कि गैर मान्यता वाले मदरसों पर टीम 10 अक्तूबर तक रिपोर्ट/संकलित डाटा को अपर जिलाधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी को पेश करेगी। उसके बाद 25 अक्तूबर तक जिलाधिकारी उपरोक्त डाटा और रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करवाएंगे। इस बावत अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि विवादित प्रबंध समिति की दशा में किसी सहायता प्राप्त मदरसे में किसी कार्मिक की मृत्यु की दशा में मृतक आश्रित कोटे में मदरसे के प्रधानाचार्य व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा नियुक्ति होने तथा वैध प्रबन्ध समिति के अस्तित्व में आने पर कार्योत्तर अनुमोद प्राप्त किया जाएगा।
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सात सालों में नए मदरसे को नहीं मिली मान्यता

उन्होंने आगे बताया कि मदरसों में कार्यरत महिला कर्मिकों को माध्यमिक शिक्षा विभाग व बेसिक शिक्षा विभाग में लागू नियमों के आलोक में मातृत्व अवकाश व बाल्य देखभाल अवकाश दिये जाने का कार्यकारी आदेश जारी किया गया है। वहीं मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तेखार जावेद ने कहा कि उप्र मदरसा शिक्षा परिषद की बैठक में तय हुआ है कि 16,51 मान्यता प्राप्त मदरसों के अलावा और प्रदेश में बिना मान्यता के कितने मदरसे चल रहे हैं, इसकी जानकारी की जाए। उन्होंने बताया कि पिछले सात सालों में मदरसा बोर्ड ने किसी भी नए मदरसे को मान्यता नहीं दी है। लेकिन मदरसों की संख्या बढ़ी है। इसलिए बोर्ड ने सर्वे कराने का फैसला किया, ताकि जिलेवार जानकारी जुटाई जा सके।

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