माखी में बनाया दहशत सा साम्राज्य उन्नाव गैंगरेप मामसे में मुख्य आरोपी और सीतापुर में बंद विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (MLA Kuldeep Singh Sengar) मूल रूप से फतेहपुर जिले (Fatehpur District) का रहने वाला है। उन्नाव (Unnao) के माखी थाना (Makhi Thana) क्षेत्र के सराय थोक पर उनका ननिहाल है और वह शुरू से वहीं आकर बस गया। कुलदीप सिंह सेंगर की उन्नाव के माखी गांव में तूती बोलती है। वह अबतक उन्नाव की अलग-अलग विधानसभा सीटों से चार बार से लगातार विधायक बन चुका है। चार बाल लगातार विधायक बनने की बात से ही उसकी अपने क्षेत्र में राजनीतिक हनक का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है।
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2002 में पहली बार विधायक बना कुलदीप सिंग सेंगर बीजेपी (BJP) से निष्कासित विधायक कुलदीप सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) ने वौसे तो अपने राजनीति जीवन की शुरुआत यूथ कांग्रेस (Youth Congress) से की था, लेकिन 2002 में पहली बार वह बीएसपी (BSP) के टिकट पर भगवंतनगर विधानसभा सीट (Bhagwant Nagar Vidhan Sabha Seat) से विधायक बना। इसके बाद सेंगर 2007 और 2012 में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के टिकट पर विधायक चुना गया। इसके बाद 2017 में कुलदीप सिंह सेंगर ने बीजेपी (BJP) का दामन थामा और उसी के टिकट पर बांगरमऊ विधानसभा सीट से विधानसभा पहुंचा।
सियासत की हवा का रुख नाप लेता है सेंगर कुलदीप सिंह सेंगर के बारे लोग कहते हैं कि वह यूपी की सियासत की हवा का रुख पहले ही भांप जाता था और उसी के मुताबिक अपनी पार्टी बदलता था। तभी तो 1996 के चुनावों में 10 हजार वोटों से हारी हुई उन्नाव सदर सीट से मायावती (Mayawati) ने कुलदीप को उम्मीदवार एक बार फिर बहुजन समाज पार्टी का उम्मीदवार (Bahujan Samaj Party Candidate) बनाया। इस चुनाव में कुलदीप ने कांग्रेस (Congress) के प्रत्याशी शिवपाल को करीब 4000 वोटों से शिकस्त दी। इसके बाद से ही कुलदीप की छवि अपने इलाके में बाहुबली की बननी शुरू हो गई। फिर 2007 और 2012 में वह सपा के टिकट पर चुनाव जीता। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सेंगर ने बीजेपी के पक्ष में चल रही हवा का रुख आंक लिया और भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) में शामिल होकर एक बार फिर विधायक बन गया।
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राजा भैया का करीबी हैं कुलदीप सिंह सेंगर राजनीतिक गलियारों में हमेशा यह चर्चा रही कि कुलदीप सिंह सेंगर निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) उर्फ राजा भैया (Raja Bhaiya) का बेहद करीबी है। राजनीति में इसे लोग दलबदलू नेता के नाम से भी जानते हैं। कुलदीप की पत्नी संगीता सेंगर (Sangita Sengar) से लेकर उसके भाईयों तक, सभी किसी न किसी पद पर जमे रहे हैं। कुलदीप ने अपनी पत्नी संगीता सेंगर को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया, तो भाई मनोज सेंगर (Manoj Sengar) को ब्लॉक प्रमुख (Block Pramukh)। इसके साथ ही खुद लोकसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार कपने में जुटा था। कुलदीप के तीसरे भाई अतुल सिंह सेंगर (Atul Singh Sengar) राजनीतिक साम्राज्य का कामकाज संभालता है।
पूरा परिवार अवैध कामों नें लगा कुलदीप सिंग सेंगर (MLA Kuldeep Singh Sengar) पर अवैध खनन और अवैध तरीके से टोल लगाकर वसूली करने का भी आरोप लगा है। उन्नाव में एक न्यूज चैनल के रिपोर्टर ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेगर के खिलाफ अवैध खनन की खबर दिखा दी। जिससे नाराज होकर सेंगर ने रिपोर्टर के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज कराये। इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि उन्नाव का कोई भी ठेका बिना कुलदीप सेंगर (Kuldeep Sengar) की मर्जी के किसी को नहीं मिलता। इसके साथ ही साइकिल के ठेके से लेकर अवैध होटल चलाने और ऑटो स्टैंड से लेकर गाड़ियों से अवैध वसूली तक के कारोबार में विधायक कुलदीप सिंग सेंगर का परिवार शामिल है। सारे ठेके कुलदीप सेंगर का भाई अतुल सेंगर उर्फ जगदीप चलाता है। जबकि होटल का कारोबार उनका भाई मनोज सेंगर देखता है।
सेंगर के भाई ने डीएसपी (DSP) को मारी थी गोली कुलदीप सिंह सेंगर का हमेशा विवादों से गहरा नाता रहा है। इसी क्रम में आज से करीब चौदह साल पहले उन्नाव (Unnao) में किसी बात को लेकर विधायक पक्ष से एक पत्रकार की कहा-सुनी हो गई थी। इसकी जानकारी जब पुलिस को मिली तो इन लोगों को रोकने के लिए यूपी पुलिस (UP Police) मौके पर पहुंची। तभी अचानक विधायक के भाई अतुल सेंगर ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में यूपी पुलिस के डिप्टी एसपी (Deputy SP) को पेट में गोली लग गई थी। जिसके बाद भी यूपी की राजनीति में कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) को लेकर काफी बविल चला था।