जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार देश की जनसंख्या 121 करोड़ है एवं लगभग 20 करोड़ की आबादी के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है जो सम्पूर्ण जनसंख्या का 16.50 प्रतिशत है। यहाँं प्रतिदिन 15000 बच्चे जन्म लेते हैं। राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जन्म दर (एक महिला द्वारा उसके पूरे प्रजनन काल में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या) 2.7 है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर 2.2 है ।
जनसँख्या स्थिरता के सम्बन्ध में जागरूकता बढाने के लिए भारत सरकार द्वारा इस वर्ष “परिवार नियोजन से निभाएँ जिम्मेदारी, माँ और बच्चे के स्वास्थ्य की पूरी तैयारी” थीम निर्धारित की गयी है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनसाधारण को सीमित परिवार के बारे में जागरूक बनाने के साथ-साथ परिवार कल्याण कार्यक्रम को गति प्रदान करना भी है । एनएफएचएस-4 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 15-49 वर्ष तक की विवाहित महिलाओं में, 45.5 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन की किसी भी विधि का प्रयोग करती हैं, 31.7 प्रतिशत महिलाएं किसी भी आधुनिक विधि का प्रयोग करती हैं । महिलाएं नसबंदी का प्रतिशत 17.3 है । 1.2 प्रतिशत महिलाएं आईयूडी/प्रसव पश्चात आईयूडी (कोपर टी), 1.9 प्रतिशत गर्भनिरोधक गोलियां व 10.8 प्रतिशत पुरुष कोंडोम का प्रयोग करते हैं । केवल दशमलव एक प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी करवाते हैं ।
एनएफएचएस-4 के अनुसार, लखनऊ जिले में 15-49 वर्ष तक की विवाहित महिलाओं में, 51.6 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन की किसी भी विधि का प्रयोग करती हैं, 39.1% महिलाएं किसी भी आधुनिक विधि का प्रयोग करती हैं, महिला नसबंदी का प्रतिशत 17.3 है, 1.6 प्रतिशत महिलाएं आईयूडी/प्रसव पश्चात आईयूडी (कोपर टी) व 2.8 प्रतिशत गर्भनिरोधक गोलियां व 16.9 प्रतिशत पुरुष कोंडोम का प्रयोग करते हैं । पुरुष नसबंदी का प्रतिशत नगण्य है।
हेल्थ मैनेजमेंट इन्फोर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) के अनुसार जिले में 2018-19 में 380 पुरुषों ने नसबंदी कराई है । सरकार को पुरुष नसबंदी से संबन्धित भ्रांतियों को दूर करने की और जागरूकता फैलाने की जरूरत है। यूपी में 11 प्रतिशत पुरुष ही परिवार नियोजन के लिए कंडोम का इस्तेमाल करते हैं।