संवाददाता के रूप में किया काम स्वतंत्र देव सिंह कॉलेज से निकलने के बाद उरई में ही रहते हुए 1989 में ‘स्वतंत्र भारत’ नामक अखबार में बतौर जिला संवाददाता काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने इसमें करीब तीन साल तक काम किया। कभी स्वतंत्र देव सिंह के साथ रहे उरई के सीनियर जर्नलिस्ट के मुताबिक स्वतंत्र देव सिंह ने तब के उभरते हिंदूवादी नेता विनय कटियार का इंटरव्यू अखबार में पब्लिश करा दिया। इससे वह विनय कटियार के करीबी हो गये। 1992 में उन्होंने पूरी तरह से पत्रकारिता छोड़ दी. वह संगठन में कार्यकर्ता के रूप में उरई से झांसी आ गए।
छात्र संघ चुनाव से की राजनीति की शुरुआत स्वतंत्र देव सिंह ने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र संघ चुनाव से की थी। उन्होने जालौन के उरई मुख्यालय स्थित डीवीसी कालेज से छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लडा लेकिन वह हार गये। उसके बाद 1986 में आरएसएस से जुड़कर स्वयंसेवक के रूप में संघ का प्रचारक का कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। 1988-89 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) में संगठन मन्त्री के रूप में कार्य भार ग्रहण किया। 1991 में भाजपा कानपुर के युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी बने। बाद में उन्हे 1994 में बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा के प्रभारी के रूप में विशुद्ध राजनीतिज्ञ के रूप में राजनीति में पदापर्ण किया। 1996 में युवा मोर्चा का महामन्त्री बनाया गया। 2001 में भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने।
दो बार बने प्रदेश महामन्त्री 2004 में स्वतंत्र देव सिंह बुन्देलखंड से झांसी-जालौन-ललितपुर विधान परिषद के सदस्य चुने गये व प्रदेश महामन्त्री भी बनाये गये। वह 2004 से 2014 तक दो बार प्रदेश महामन्त्री बनाये गये। इससे पहले 2010 में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बनाये गए बाद में 2012 में फिर महामंत्री बने और इसी पद पर रहकर 2017 में भाजपा को बुन्देलखंड क्षेत्र में भारी जीत दिलाई। 2013 में इनको पश्चिम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था।
2012 में किया बुरी हार का सामना 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने स्वतंत्र देव सिंह को उरई की कालपी सीट से चुनाव लड़े। यहां उन्हें बुरी तरह हार मिली। कांग्रेस की प्रत्याशी उमा कांति के सामने उनकी जमानत तक जब्त हो गयी। इसके बाद भी उन्हें बीजेपी ने एमएलसी बनाया। 2014 में हुए आम चुनाव उनके लिए महत्त्वपूर्ण रहे। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में होने वाली रैलियों के आयोजन की कमान दे दी। यहीं से वह पीएम मोदी व अमित शाह के और करीब आ गए। बुंदेलखंड में मजबूत पकड़ के चलते 19 में से अधिकतर सीटों पर टिकट उनकी सलाह पर ही दिए गए। बीजेपी ने यहां से सभी 19 सीटें जीती तो उनका कद और बढ़ गया।
सीएम के दौड़ में थे शामिल पिछड़ा वर्ग से आने के कारण स्वतंत्र देव सिंह को उत्तर प्रदेश का सीएम के पद का दावेदार माना गया, लेकिन बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को सीएम बना दिया। स्वतंत्र देव सिंह भले ही चुनाव हारते रहे लेकिन सेवा भाव व नर्म स्वभाव के कारण एबीवीपी, संघ, व बीजेपी में जगह बनाते रहे और सीएम के नाम की चर्चा तक पहुंच गए।
2014 में बीजेपी सदस्यता अभियान के प्रभारी बनाए गए थे स्वतंत्रदेव सिंह 2014 में प्रदेश में बीजेपी सदस्यता अभियान के प्रभारी बनाए गए थे। जिसमें प्रदेश भर से एक करोड़ से ज्यादा नये सदस्य बनाकर स्वतंत्रदेव सिंह ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया था। स्वतंत्र देव सिंह ने 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में बीजेपी युवा मोर्चा अधिवेशन आयोजित कराया था। अपने नेतृत्व में उन्होने भाजपा की सीमा जागरण यात्रा (सहारनपुर से पीलीभीत बॉर्डर, गोरखपुर से बिहार तक) कराई थी। वही केन्द्रीय जलसंसाधन विकास मंत्री उमा भारती की गंगा यात्रा में गढ़मुक्तेश्वर (मुरादाबाद) से बलिया तक प्रमुख इंचार्ज रहे। वही 2009 में वह भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार लाल कृष्ण आडवाणी की रैली के प्रमुख कर्ता-धर्ता रहे थे।