नौ नवंबर को यूसीसी की सौगात
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कुछ दिन पूर्व ही में घोषणा की थी कि सरकार नौ नवंबर को राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने की तैयारी में है। आज समिति ने सीएम को यूसीसी का फाइलन ड्राफ्ट सौंप दिया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि सरकार उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के दिन नौ नवंबर को यूसीसी लागू कर सकती है। ये भी पढ़ें:-
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यूसीसी की नियमावली में प्रमुख रूप से चार भाग हैं। इसमें विवाह एवं विवाह-विच्छेद लिव-इन रिलेशनशिप, जन्म- मृत्यु पंजीकरण और उत्तराधिकार संबंधी नियमों के पंजीकरण संबंधी प्रावधान तय किए गए हैं। लोगों की सुविधा को देखते हुए यूसीसी के लिए एक पोर्टल और मोबाइल एप भी तैयार किया गया है। इसमें पंजीकरण और अपील आदि की समस्त सुविधाएं लोगों को ऑनलाइन माध्यम से आसानी से मिल सकेंगी। यूसीसी अभी तक देश के किसी भी राज्य में लागू नहीं हैं। यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है।
राज्य में बदल जाएंगे ये नियम
- सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून
- 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा
- ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा
- पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना
- पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे
- विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी
- महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं
- हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी
- कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा
- एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा
- पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी
- संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे
- जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा
- नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा
- गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे
- किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे
- कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
- लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा
- युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे
- लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे
- लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा
- अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे