लखनऊ

तीन तलाक बिल पर विरोध, बताया इसे मुस्लिम महिलाओं को नुकसान पहुंचाने वाला बिल

– मौलाना ने बताया इसे मुस्लिम महिलाओं को होगा नुकसान पहुंचाने वाला बिल- नाईश हसन ने की बिल में संशोधन की मांग

लखनऊJul 26, 2019 / 06:20 pm

Karishma Lalwani

तीन तलाक बिल पर विरोध, बताया इसे मुस्लिम महिलाओं को नुकसान पहुंचाने वाला बिल

लखनऊ. तीन तलाक (Triple Talaq)पर पाबंदी के लिए लोकसभा से पारित हुए बिल को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने राजनीतिक करार दिया है। बोर्ड का मानना है कि ये बिल मुस्लिम महिलाओं को नुकसान पहुंचाने वाला है। वहीं, दूसरी ओर मु्स्लिम संगठन ने बिल में मौजूद कई बिंदुओं पर ऐतराज जताया है। उन्होंने उन प्रावधानों को हटाए जाने की मांग की है।
तीन तलाक बिल जरूरी

 

मुस्लिम वीमेन लीग की महासचिव नाईश हसन का मानना है कि तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाना जरूरी है मगर बिल की कुछ खामियों को दूर किया जाना भी जरूरी है। उन्होंने कुछ बिंदुओं पर संशोधन की मांग की है।
– विवाह की तरह तलाक़ का पंजीकरण 30 दिन के भीतर अनिवार्य हो

– उक्त पंजीकरण को सभी योजनाओं से जोड़ा जाए

– प्रमाण न देने वाले को किसी योजना का लाभ न दिया जाए, विदेश जाने की आज्ञा न दी जाए
– तलाक ए बिद्दत को घरेलू हिंसा क़ानून में जोड़ा जाए, मजिस्ट्रेट को पावर हो

– भारतीय दंड संहिता की धारा 498A में तीन तलाक पर विशेष बिंदु जोड़ा जाए

– थाने में मिडिएशन हो, जिसे अनिवार्य बनाया जाए। साथ ही प्रशिक्षित काउंसलर रखे जाए
– तीन साल की सज़ा हटा कर एक साल की जाए

– इसे असंगेय और जमानती किया जाए।

बिल पर जताया ऐतराज

maulana
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने मौजूदा बिल पर ऐतराज जताया है। उनका मानना है कि इससे मुस्लिम महिलाओं को फायदे की जगह नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों व मुस्लिम संगठनों ने इस बिल को सलेक्ट कमेटी में भेजने और वहां से संशोधन आने के बाद कानून बनाने की मांग की थी। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया है।
तीन तलाक राजनीतिक बिल

 

jafaryab jilani
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने तीन तलाक बिल को मंजूरी देने वाले फैसले को राजनीतिक बताया है। उनका मानना है कि सरकार मुस्लिम महिलाओं के विरोध को नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक बिल के विरोध में सड़कों पर उतरी करोड़ों महिलाओं की भावनाओं को सरकार ने नजरअंदाज किया है।
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बिल में संशोधन जरूरी

 

shaista amber
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर (Shaista Amber) ने भी माना की तीन तलाक बिल लाना जरूरी था मगर बिल में कुछ संशोधन भी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि तीन तलाक पर कानून बनाए जाने से पहले सरकार को मुस्लिम व महिला संगठन से राय लेनी चाहिए थी मगर ऐसा नहीं हुआ। शाइस्ता अंबर का मानना है कि तीन तलाक बिल पासे हो जाने से पति-पत्नी के बीच सुलह की गुजाइश नहीं रहेगी। तलाक सामाजिक बुराई है, लेकिन इसे अपराध बनाए जाने पर लोग शादी करने से ही डरने लगेंगे। कानून ऐसा होना चाहिये कि शौहर एक साथ तीन तलाक देने से डरे और सुलह की गुंजाइश बनी रहे।
तलाक के मामलों में आएगी कमी

 

shehnaz sidrat
बज्म-ए-ख्वातीन की अध्यक्ष बेगम शहनाज सिदरत ने तीन तलाक बिल का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे तलाक के मामलों में कमी आएगी। हालांकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कानून मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से मजबूती भी दे। साथ ही शौहर और बीवी के बीच सुलह की गुंजाइश बनी रहे।
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