लखनऊ

पार्कों में छिपा है बच्चों की खुशी का खजाना, आप के चेहरे पर भी आएगी सकून भरी मुस्कान

नवाबों का शहर लखनऊ किसी पहचान का मोहताज़ नहीं है।

लखनऊOct 06, 2017 / 10:14 am

आकांक्षा सिंह

लखनऊ. नवाबों का शहर लखनऊ किसी पहचान का मोहताज़ नहीं है। यहां की तहज़ीब, अंग्रेजों और मुगलों के ज़माने की इमारतें, लज़ीज़ खानपान, छोटी बड़ी गलियां, पहनावा आदि ने अपनी अलग पहचान बनाई है। गोमती के किनारे बसा लखनऊ शहर अपने उद्यानों, बागीचों और अनोखी वास्‍तुकलात्‍मक इमारतों के लिए जाना जाता है। बच्चे हों या बूढ़े घूमने-मौजमस्ती करने के मामले में सभी यहां अपने मन के मुताबिक घूम सकते हैं और मौजमस्ती कर सकते हैं। टूरिस्ट प्लेस के तौर पर देखा जाए तो लखनऊ की अपनी अलग ही शान है। आज भी यहां पुराने ज़माने की गगनचुम्बी इमारतें लखनऊ की शान-ओ-शौकत बढ़ा रही हैं और यही इमारतें लखनऊ की शान हैं। मुस्कुराइये कि आप लखनऊ में हैं कि क्योंकि यहां ऐसे पार्क, ऐसे उद्यान हैं जो लखनऊ की शान हैं, जहां घूमने दिल खुश हो जाता है।


लखनऊ का चिड़िया घर


लखनऊ का चिडियाघर, शहर के केंद्र में स्थित है जो 72 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जगह लखनऊ आने वाले पर्यटकों के लिए बेहद खास है। एक अनुमान के अनुसार, इस चिडियाघर में हर साल लगभग दस लाख पर्यटक आते है। इस चिडियाघर में कई प्रकार के जानवर पाएं जाते हैं जिनमें चिडियां, सरीसृप, और स्‍तनपायी पाएं जाते है।

इस चिडियाघर में रॉयल बंगाल टाइगर, शेर भेडिया, हिमालया काला भालू, गैंडा, काला हिरण, जेब़रा, मैना, एशियाई हाथी, जिराफ,विशाल गिलहरी और कई अन्‍य तरह के जानवर यहां देखने को मिलते है। इनके अलावा, हिरन, काला तीतर, सफेद बाघ और काले हिरन भी यहां आकर देखे जा सकते है जो खास है और बहुत कम देखने को मिलते है।

इस चिडियाघर में टॉय ट्रेन है जिसमें बच्‍चे और बड़े दोनों आनंद उठा सकते है। इस ट्रेन में एक इंजन और दो डिब्‍बे है, इस रेल को रेलवे बोर्ड द्वारा उपहार में दिया गया था। इस ट्रेन का ट्रैक 1.5 किलोमीटर है। यह ट्रेन चंदेरपुरी स्‍टेशन से चलकर जू के सभी स्‍थानों से होकर गुजरती है।

 

आंबेडकर पार्क

गुलाबी पत्थरों से लखनऊ में बना अंबेडकर पार्क बसपा सुप्रीमों मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। दलित समुदाय भी इसे अपने उत्थान का प्रतीक मानता है। लोगों का कहना है ”कम से कम मायावती जी ने एक ऐसा स्थल बनवा दिया है, जिससे हमें गर्व की अनुभूति होती है।” पर वन इंडिया ने अपनी नजरों से अंबेडकर पार्क की हालत झांकने की कोशिश की।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने दलितों के मसीहा माने जाने वाले सभी महापुरूषों को सम्मान देते हुए अंबेडकर पार्क का निर्माण कराया। हालांकि विरोधियों ने गुलाबी पत्थरों में लोगों का पैसा व्यर्थ करने के आरोप भी लगाए। इस पार्क में करीबन एक हजार करोड़ रूपए खर्च किए गए।

 

जनेश्वर मिश्रा पार्क


लखनऊ में वर्ष 2014 में जनेश्वर मिश्र पार्क का अनावरण हुआ। इस पार्क में पेड़-पौधे,जोगिंग ट्रक, गोल्फ कोर्स, ओपन जिम साथ ही बच्चों के लिए शानदार झूले मौजूद हैं। इस पार्क सब कुछ इतना भव्य है कि, आप एक बार आने के बाद इस पार्क में बार बार आना पसंद करेंगे। ह पार्क लखनऊ शहर के गोमतीनगर एक्सटेंशन में लगभग 376 एकड़ में स्थित है। इस पार्क में आप गंडोला नाव का भी मजा ले सकते हैं।

राजधानी लखनऊ में इस पार्क का अनावरण वर्ष 2014 में हुआ था। इसकी लागत में 168 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं। पार्क को लंदन के हाइड पार्क की तर्ज पर विकसित किया गया है। पार्क तकरीबन 376 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।

यह पार्क समाजवादी नेता और “छोटे लोहिया” के नाम से विखाय्त जनेश्वर मिश्र के नाम अपर बना है।

डॉ राम मनोहर लोहिया पार्क

यह पार्क 80 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है। यहां की विशेषताओं में सुंदर बागवानी, पैदल ट्रैक, एक कृत्रिम झील और एक टावर है। “लोहिया पार्क का निर्माण लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा गोमतीनगर में महान समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया की स्मृति में करवाया गया है।”

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