1985 में बने विहिप की अगुवाई वाले श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष मणिरामदास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास हैं। इस ट्रस्ट की राम मंदिर निर्माण के लिए यहां 1990 में खोली गई पत्थर तराशी और मूर्ति निर्माण की तीन कार्यशाला में चलती हैं। ट्रस्ट की अरबों की जमीन है। राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के खाते में शिलादान अभियान से मिली करीब आठ करोड़ की नकदी है। मंदिर निर्माण के फैसले के बाद अयोध्या से लेकर दिल्ली तक विहिप नेता इसी ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर बनाने का दावा कर रहे हैं।
राम का धाम, रोजगार का ध्यान
रामालय ट्रस्ट
6 दिसंबर 1992 को ढांचा ढहाए जाने के बाद 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के प्रयास से द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती समेत 25 धर्माचार्यों ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर राममंदिर बनाने के लिए रामालय ट्रस्ट का गठन किया था। तब इसके संयोजक जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य थे। श्रृंगेरीपीठ के धर्माचार्य स्वामी भारती भी ट्रस्ट में शामिल थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रामालय ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मंदिर बनाने का लीगल अधिकार होने का दावा कर रहे हैं। साथ ही विश्व हिंदू परिषद के ट्रस्ट को अधिग्रहण के पहले का बना होने की वजह से अवैधानिक ठहराते हैं। वह यह भी करते हैं कि महंत जनमेजय शरण हमारी कार्यकारिणी में हैं।
तीसरा ट्रस्ट श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास ट्रस्ट है। इसके अध्यक्ष जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जनमेजय शरण हैं। मणिरामदास की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य हैं। महंत का ने दावा करते हुए कहा कि पीएम मोदी कोई नया ट्रस्ट नहीं बनाने जा रहे हैं। मंदिर का निर्माण हमारा ट्रस्ट करेगा। अन्य जो ट्रस्ट दावा कर रहे हैं, उनकी कोई अहमियत नहीं है।