scriptTokyo Olympics 2020: यूपी में है टैलेंट की बड़ी टोली, फिर भी खाली झोली | There is a huge team of talent in UP, yet the bag is empty | Patrika News
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Tokyo Olympics 2020: यूपी में है टैलेंट की बड़ी टोली, फिर भी खाली झोली

यूपी में खेल सरकारों की प्राथमिकता में कभी नहीं रहा है, वरना क्या कराण रहा है कि 24 करोड़ युवाओं के प्रदेश को एक अदद पदक नहीं मिला।

लखनऊAug 10, 2021 / 11:13 am

Nitish Pandey

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में खेलों की स्थिति बेहद ही खराब है, क्योंकि 24 करोड़ की आबादी में किसी को ओलंपिक में पदक ना मिलना ये चिंता की बात है। संसाधनों से भरपूर राज्य, समाजिक परिवेश वाला प्रदेश और ओलंपिक में कोई पदक न मिलना यह प्रमाणित करता है कि उत्तर प्रदेश में खेलों की स्थिति क्या है। खेल न तो सरकारों की प्राथमिकता है और ना ही हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश का हिस्सा है। यूपी के खेल फेडरेशन में पॉलिटिक्स हॉबी है। खेल फेडरेशन को नेता चला रहा है या फिर कोई ब्यूरोक्रेट।
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सरकार के प्राथमिकता में नहीं है खेल
यूपी में खेल सरकारों की प्राथमिकता में कभी नहीं रहा है, वरना क्या कराण रहा है कि 24 करोड़ युवाओं के प्रदेश को एक अदद पदक नहीं मिला। हरियाण ओलंपिक में चार पदक ला रहा है। ये इस बात स्पष्ट प्रमाण है कि यूपी की सरकारों की प्राथमिकता में खेल है ही नहीं और अगर है भी तो बस नाम मात्र के लिए।

सांस्कृतिक-सामाजिक परिवेश भी बड़ा कारण
उत्तर प्रदेश का सांस्कृकित और सामाजिक परिवेश भी खेलों में युवाओं को जाने से रोकता है। अगर उदाहरण के दौर पर देखें तो कोई भी अपने बच्चे को भी अच्छा खिलाड़ी बनाना नहीं चाहता है। यूपी के अभिवावकों की यही कोशिश होती है कि उनका बच्चा बड़ा होकर आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर और इंजीनियर बनें। कोई भी अभिभावक अपने बच्चे को खेलों में भेजना क्यों नहीं चाहता है ? यूपी में खेलों को लेकर कोई वातावरण क्यों नहीं बन पा रहा है ?

यूपी से 10 खिलाड़ियों का हुआ था चयन


• मेरठ की अन्नू रानी का हुआ था चयन
• मेरठ के सौरभ चौधरी का हुआ था चयन
• मेरठ की प्रियंका गोस्वामी का हुआ था चयन
• मेरठ की वंदना कटारिया का हुआ था चयन
• मेरठ के विवेक चिकारा का हुआ था चयन
• वाराणसी के ललित उपाध्याय का हुआ था चयन
• चंदौली के शिवपाल सिंह का हुआ था चयन
• बुलंदशहर के सतीश कुमार का हुआ था चयन
• बुलंदशहर के मेराज खान का हुआ था चयन
• बुलंदशहर के अरविंद सोलंकी का हुआ था चयन

254 करोड़ है यूपी में खेल का बजट
उत्तर प्रदेश में खेल विभाग का बजट 254 करोड़ रुपए हैं। इस बजट का करीब 90 फीसदी पैसे सैलरी और रखरखाव के नाम पर खर्च हो हा जाता है। खिलाड़ियों को देने के लिए न तो पर्याप्त डाइट है और ना उनको प्रशिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच हैं और ना ही बेहतर इंस्फराटक्चर है उत्तर प्रदेश में।

बेटी के हार पर भी परिजनों में था उत्साह
बेटी प्रियंका के हार पर उनके माता-पिता ने जश्न मनाया। टोक्यो में हो रहे ओलंपिक में शुक्रवार को 20 किलोमीटर पैदल चाल स्पर्धा का आयोजन था। जिसमें इंटरनेशनल एथलीट प्रियंका 17वें नबंर पर रहीं। हांलाकि प्रियंका आखिरी दम तक दौड़ी। प्रियंका के पिता मदनपाल गोस्वामी कि जिला व स्टेट स्तर तक तो हमने खिलवाया, लेकिन अब सरकार के हाथों में हैं। अगर अच्छी ट्रेंनिंग मिले तो 2024 में बेटी पदक जरुर जीतेगी।
क्या कहते हैं सूबे के मंत्री और पूर्व खिलाड़ी
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और पूर्व खिलाड़ी मोहसिन रजा का कहना है कि यूपी में सरकार खेल विश्वविद्यालय बनाने जा रही है। यह विश्वविद्यालय देश और एशिया की पहली विश्वविद्यालय होगी जो आधुनिक होगी। 2024 में होने वाले ओलंपिक में इस विश्वविद्यालय में तैयार हुए बच्चे एक-दो नहीं बल्कि 24 पदक जीत कर लाएंगे, ऐसा प्रयास है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बीते दिनों ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले राज्य के एथलीटों को 6 करोड़ रुपये, रजत पदक जीतने पर 4 करोड़ रुपये और कांस्य पदक जीतने पर 2 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया था। यह घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद की थी। मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही राज्य में खेलों के दायरे में बढ़ोतरी की भी बात कही थी।

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