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Ayodhya Ka Faisla : जानिए उन वकीलों के बारे में जिनकी जिरह के बाद हुआ फैसला, क्या थी किसकी दलील

आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले में किन-किन वकीलों ने की जोरदार बहस-

लखनऊNov 09, 2019 / 11:42 am

Hariom Dwivedi

Ayodhya Ka Faisla : जानिए उन वकीलों के बारे में जिनकी जिरह के बाद हुआ फैसला, क्या थी किसकी दलील

पत्रिका ब्रेकिंग
अयोध्या. अयोध्या की विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर जो बहस हुई। करीब 400 साल पुराने अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगातार 40 दिन तक बहस अपने आप में एक रिकार्ड है। न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों ने बहुत ही सारगर्भित बहस की। बहस में ऐतिहासिक दस्तावेज, एएसआई रिपोर्ट और धर्मग्रंथों का सहारा लिया गया। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले में किन-किन वकीलों ने की जोरदार बहस-
दलील के कितने मिनट
हिंदू पक्षकार-16 दिन में 67 घंटे 35 मिनट तक मुख्य दलीलें रखीं।
मुस्लिम पक्ष-18 दिन में 71 घंटे 35 मिनट तक पक्ष रखा
-5 दिन में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की दलीलों पर 25 घंटे 50 मिनट तक जवाबी जिरह की
हिंदू पक्षकारों के वकील
-रामलला विराजमान की तरफ से के. परासरन और सीएस वैद्यनाथन -निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन
-राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से पीएन मिश्रा
मुस्लिम पक्षकारों के वकील
-शिया वक्फ बोर्ड के वकील एमसी ढींगरा
-सुन्नी वक्फ बोर्ड व अन्य की ओर से राजीव धवन, जफरयाब जिलानी, मीनाक्षी अरोड़ा, शेखर नाफड़े और मोहम्मद निजामुद्दीन पाशा

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हिंदू पक्ष की ओर से इन दिग्गजों ने सुप्रीम कोर्ट में रखे थे अपने तथ्य
किसने क्या रखी दलील
-के. परासरन-पूर्व अटार्नी जनरल परासरन-अयोध्या मामले पर पौराणिक तथ्यों के आधार पर मंदिर होने की दलीलें पेश कीं
-सीएस वैद्यनाथन-एएसआइ की रिपोर्ट की प्रासंगिकता व वैधता के आधार पर पक्ष को सबल किया
-पीएस नरसिम्हा-पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नरसिम्हा ने पुराणों की बात को मजबूती से पेश किया
-रंजीत कुमार- पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने पूजा का हक मांगने वाले गोपाल सिंह विशारद की ओर से बहस की
पीएन मिश्रा-अखिल भारत श्रीराम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति का पक्ष रखा
-हरिशंकर जैन-अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से मंदिर के पक्ष में दलीलों को रखा
-सुशील कुमार जैन-निर्मोही अखाड़ा की ओर से मंदिर पर दावा पेश किया था
-जयदीप गुप्ता- निर्वाणी अखाड़ा के धर्मदास की ओर से अदालत में बहस हिस्सा लिया
-राजीव धवन- मुस्लिम पक्षकारों की ओर से बहस की
-जफरयाब जिलानी-मुस्लिम पक्षकार की ओर से इमाम के वेतन, पुताई आदि के सबूत पेश कर वहां मस्जिद होने का सबूत पेश किया
-शेखर नाफड़े- मुस्लिम पक्षकारों की ओर से रेसजुडीकेटा और एस्टोपल के कानूनी सिद्धांत पर यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि मालिकाना हक के केस पर कोर्ट अब सुनवाई नहीं कर सकता
-निजामुद्दीन पाशा- मुस्लिम पक्ष की ओर से पवित्र कुरान की आयतों के आधार पर देश की सबसे बड़ी अदालत में इस्लामिक कानून पर बहस की
-मीनाक्षी अरोड़ा- मुस्लिम पक्ष की ओर एएसआइ की रिपोर्ट के खिलाफ बहस की
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