लखनऊ

गर्मियों से इंसान ही नहीं मछलियों में भी बढ़ा गया तनाव, रिपोर्ट जानकर हो जाएंगे हैरान

Summer Weather Effect: गर्मियों से इंसानों के साथ साथ मछलियां भी बेहद परेशान हैं। 600 तालाबों में किए गए अध्ययन की जारी की गई रिपोर्ट को पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे। गर्मी से मछलियां तनाव में है।

लखनऊMay 14, 2022 / 11:18 am

Snigdha Singh

Summer Season increased Depression not only Human but also Fish

देश के तमाम प्रदेशों में इन दिनों गर्मी का कहर देखने को मिल रहा है। बड़ी संख्या में लोग बीमार भी हो रहे हैं। ऐसी भीषण गर्मी से इंसान और पशु-पक्षी ही नहीं, पानी में रहने वाली मछलियां भी परेशान हैं। मत्स्य विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी से मछलियां तनाव में हैं और परेशान होकर गहराई में जमा हो रही हैं। भीड़ बढ़ने से उनमें तनाव बढ़ रहा है। अगर गर्मी ऐसी ही रही तो मई-जून मछलियों के लिए खतरनाक होंगे। वह न सिर्फ बीमार होंगी, बल्कि बड़ी संख्या में उनकी मौत भी हो सकती है। ये अध्ययन कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा किया गया है। 600 से अधिक तालाबों में अध्यक्यन के बाद ये रिपोर्ट तैयार हुई है।
मछलियों के रहने के लिए 30 डिग्री चाहिए तापमान

विवि के वैज्ञानिकों के मुताबिक मछलियां सामान्य रूप से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान तक पानी में सहज रहती हैं। पारा इससे ज्यादा होने पर उनमें तनाव बढ़ने लगता है। अप्रैल भर अधिकतर जगहों में तापमान 42 डिग्री के आसपास रहा। इस तापमान पर तालाबों-नदियों का पानी 32 से 35 डिग्री तक पहुंच जाता है। मत्स्य वैज्ञानिक डॉ. आनंद स्वरूप श्रीवास्तव ने कहा- मछलियों की कुछ प्रजातियां पानी ज्यादा गरम होने पर खुद को दलदल में छिपा लेती हैं। उनका तापमान समायोजित हो जाता है लेकिन ज्यादातर प्रजातियां दलदल में नहीं छिप सकतीं। ऐसी मछलियां पानी के निचले स्तर पर चली जाती हैं। भीड़ और गर्मी का तनाव मिलकर उन्हें बीमार बना देता है।
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इससे पहले की क्या थी स्थिति
इससे पहले भी गर्मियां होती थी। मछलियां विशेषज्ञों के मुताबिक पानी का तापमान 32 से 35 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक पिछले वर्षों में भी पहुंच जाता था लेकिन इस बार इसकी अवधि ज्यादा है। केवल मई-जून में पानी गरम होने की जगह इस बार मार्च से जून तक इसकी संभावना बन रही है। इससे मत्स्य उत्पादकों को भी नुकसान हो सकता है।
मांगुर मछली दूर कर लती है तनाव

गर्मी हर प्रजाति में तनाव उत्पन्न करती हैं। मांगुर व सिंघी मछलियां तनाव बढ़़ते ही गहराई में रुकने की जगह दलदल में चली जाती हैं मगर रोहू, कतला, नैन, सिल्वर कार्प, ग्राम कार्प मछलियां दलदल में नहीं समायोजित हो पाती हैं। उन्हें गहराई में ठहरना पड़ता है। संख्या अधिक होने पर तनाव कम होने के बजाए तेजी से बढ़ता है। ऐसे में मांगुर मछली अपना तनाव दूर कर लेती है।
तनाव बढ़ने से मछलियों में होती ये समस्या

जब मछलियां में तनाव में होता है तो उनकी ग्रोथ रुक जाती है। कई तरह की मछलियों में अचानक बीमारियां होने लगती हैं। बल्कि मछलियां धीरे-धीरे भोजन छोड़ने लगती हैं। इससे या तो मछलियां मर जाती हैं या फिर उनके लिए बेहतर उपचार देना होता है। इससे बचाव के लिए तलाब का पानी बदलते रहे।
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