हरिओम द्विवेदी
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. पूर्वी यूपी में पिछड़ों में अपना अच्छा खासा प्रभाव रखने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का गठन ओम प्रकाश राजभर ने 27 अक्टूबर 2002 को किया था। 15 साल के संघर्ष के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने सत्ता का स्वाद चखा। ओम प्रकाश राजभर कैबिनेट मंत्री बने। भाजपा के साथ मिलकर 8 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटें जीतीं। बाद में कई मुद्दों पर मतभेद के बाद न केवल मंत्रीपद छोड़ा बल्कि बीजेपी से भी गठबंधन तोड़ लिया। अब (uttar pradesh assembly elections 2022) 10 छोटे-छोटे दलों को मिलाकर राजभर भागीदारी संकल्प मोर्चा को मजबूत कर रहे।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. पूर्वी यूपी में पिछड़ों में अपना अच्छा खासा प्रभाव रखने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का गठन ओम प्रकाश राजभर ने 27 अक्टूबर 2002 को किया था। 15 साल के संघर्ष के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा ने सत्ता का स्वाद चखा। ओम प्रकाश राजभर कैबिनेट मंत्री बने। भाजपा के साथ मिलकर 8 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटें जीतीं। बाद में कई मुद्दों पर मतभेद के बाद न केवल मंत्रीपद छोड़ा बल्कि बीजेपी से भी गठबंधन तोड़ लिया। अब (uttar pradesh assembly elections 2022) 10 छोटे-छोटे दलों को मिलाकर राजभर भागीदारी संकल्प मोर्चा को मजबूत कर रहे।
राजभर कितने महत्वपूर्ण
यूपी में करीब 4 फीसदी और पूर्वांचल में 18-20 फीसदी राजभर वोटर्स हैं। पूर्वांचल के दो दर्जन जिलों की 100 से अधिक सीटों पर राजभर वोटर हार-जीत तय करने की क्षमता रखते हैं। इनमें वाराणसी जिले की 05, आजमगढ़ की 10, मऊ की 04, बलिया की 07, गाजीपुर की 07, जौनपुर की 09 और देवरिया की 07 विधानसभा सीटों पर राजभर वोटर्स काफी तादात में हैं। राजभर की मानें तो यूपी की 66 सीटों पर 80,000 से 40,000 तक और करीब 56 सीटों पर 45,000 से 25,000 तक राजभर वोटर हैं। सुभासपा का दावा है कि उसके साथ 90 से 95 फीसदी राजभर वोटर हैं।
यूपी में करीब 4 फीसदी और पूर्वांचल में 18-20 फीसदी राजभर वोटर्स हैं। पूर्वांचल के दो दर्जन जिलों की 100 से अधिक सीटों पर राजभर वोटर हार-जीत तय करने की क्षमता रखते हैं। इनमें वाराणसी जिले की 05, आजमगढ़ की 10, मऊ की 04, बलिया की 07, गाजीपुर की 07, जौनपुर की 09 और देवरिया की 07 विधानसभा सीटों पर राजभर वोटर्स काफी तादात में हैं। राजभर की मानें तो यूपी की 66 सीटों पर 80,000 से 40,000 तक और करीब 56 सीटों पर 45,000 से 25,000 तक राजभर वोटर हैं। सुभासपा का दावा है कि उसके साथ 90 से 95 फीसदी राजभर वोटर हैं।
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इन मुद्दों पर बात करता है सुभासपा
अलग पूर्वांचल राज्य, आबादी व आर्थिक आधार पर आरक्षण, पोस्ट ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा, सच्चर कमेटी रिपोर्ट व रंगनाथ मिश्रा की सिफारिशें लागू कराना, प्राथमिक विद्यालय में तकनीकी शिक्षा, निकाय चुनाव की तरह लोकसभा-विधानसभा चुनाव में आरक्षण, संविधान की समीक्षा, सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू कराना, निशुल्क स्वास्थ्य-शिक्षा और बिजली।
पार्टी के प्रमुख नेता
ओम प्रकाश राजभर (अध्यक्ष व पूर्व मंत्री), अरविंद राजभर (प्रमुख महासचिव, पूर्व राज्यमंत्री), अरुण कुमार राजभर (राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता), सुनील कुमार अर्कवंशी (प्रदेश अध्यक्ष), महेंद्र राजभर (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), सालिक यादव (राष्ट्रीय सचिव), शक्ति सिंह (राष्ट्रीय सचिव), संतोष पांडेय (राष्ट्रीय सचिव) और सुनील सिंह (प्रदेश प्रवक्ता)
ओम प्रकाश राजभर (अध्यक्ष व पूर्व मंत्री), अरविंद राजभर (प्रमुख महासचिव, पूर्व राज्यमंत्री), अरुण कुमार राजभर (राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता), सुनील कुमार अर्कवंशी (प्रदेश अध्यक्ष), महेंद्र राजभर (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), सालिक यादव (राष्ट्रीय सचिव), शक्ति सिंह (राष्ट्रीय सचिव), संतोष पांडेय (राष्ट्रीय सचिव) और सुनील सिंह (प्रदेश प्रवक्ता)
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सुभासपा का कैसे बढ़ा राजनीतिक ग्राफ
– 2004 लोकसभा चुनाव में सुभासपा ने 13 कैंडिडेट उतारे। पार्टी को कुल 0.07 फीसदी यानी 275,267 वोट मिले।
– 2005 बिहार विस चुनाव में पार्टी तीन सीटों पर चुनाव लड़ी। 13,655 वोट मिले जो राज्य के कुल मत प्रतिशत का 0.06 प्रतिशत है।
– 2007 यूपी चुनाव में 97 सीटों पर सुभासपा लड़ी। 94 की जमानत जब्त हुई। पार्टी को कुल 491,347 यानी 0.94 फीसदी वोट मिले।
– 2009 लोस चुनाव में अपना दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। सुभासपा ने 22 प्रत्याशी उतारे। गठबंधन को 319,307 वोट मिले।
– 2010 बिहार विस चुनाव में 6 सीटों पर सुभासपा ने चुनाव लड़ा। पार्टी को 15,437 (0.05 प्रतिशत) वोट मिले।
– 2012 यूपी विस चुनाव में 52 सीटों पर चुनाव लड़ा। 48 कैंडिडेट्स की जमानत जब्त। पार्टी को कुल 477,330 (0.63 प्रतिशत)वोट मिले।
– 2014 लोस चुनाव में13 कैंडिडेट चुनाव लड़े। पार्टी कैंडिटेस को 118,947 वोट मिले।
– 2015 बिहार विस चुनाव में दो सीटों पर चुनाव लड़ी। पार्टी प्रत्याशी आजाद पासवान तीसरे नंबर पर।
– 2017 यूपी चुनाव में भाजपा संग चुनाव लड़ा। 8 प्रत्याशी उतारे। चार जीते। राजभर कैबिनेट मंत्री बने।
– 2019 लोस चुनाव में अकेले चुनाव लड़े। 39 कैंडिडेट उतारे। कोई भी कैंडिडेट चुनाव नहीं जीत सका।
– 2020 बिहार विस चुनाव में ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट में शामिल होकर चुनाव लड़ा। कोई प्रत्याशी नहीं जीता।