लखनऊ. Maintaince Allownace for Labour and Street Vendors. कोरोना संक्रमण (Corona Virus) को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (UP Government) ने रेहड़ी-पटरी वालों को बड़ी राहत दी है। योगी सरकार दुकानदारों, रिक्शा व ई रिक्शा चालकों, नाविकों, कुली, नाई, धोबी, मोची आदि जैसे रोज कमा कर खाने वालों को एक हजार रुपये भरण पोषण भत्ता देने जा रही है। यह धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजी जाएगी। लाभार्थियों के चयन के लिए सरकार ने जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति बनाई है। समिति पात्रों का चिन्हीकरण कर उनका विवरण राहत आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट पर फीड करेगी। डाटा सत्यापन के बाद नगर आयुक्त और अधिशासी अधिकारियों को नोडल अधिकारियों के तौर पर प्रमाण पत्र देना होगा जिसमें यह लिखा होगा कि उन्होंने प्रमाण पत्र का सत्यापन कर लिया है और इसमें त्रुटि नहीं है। इसके लिए 15 जून तक का समय दिया गया है। 15 जून के बाद ही चयनित पात्रों को भरण पोषण भत्ता मिलने की उम्मीद है।
जीएसटी के दायरे में नहीं आने वाले ही होंगे पात्र योगी सरकार द्वारा यह सुविधा केवल उन रेहड़ी पटरी वालों को मिलेगी जो जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं। अपर मुख्य सचिव डॉ. रजनीश दुबे ने आदेश जारी कर कहा है कि धोबी श्रेणी में ड्राई क्लीनर दुकानदार पात्रता की श्रेणी में नहीं आएंगे। शहरी क्षेत्रों में नोडल अधिकारी पात्र व्यक्तियों का विस्तृत विवरण, बैंक खाता संख्या, मोबाइल नंबर, पहचान पत्र आदि सत्यापन के बाद वेबसाइट पर फीड कराएंगे।
इनसेट स्वास्थ्यकर्मियों ने मांगा प्रोत्साहन भत्ता व 50 लाख रुपए की बीमा राशि प्रदेश भर में स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना से मौत के बाद 50 लाख रुपये की बीमा राशि और प्रोत्साहन भत्ता न दिए जाने के विरोध में काला फीता बांधकर विरोध किया। कर्मियों ने शासनादेश की प्रतियां जलाईं और नारेबाजी की। दरअसल, शासनादेश के मुताबिक कोविड अस्पतालों में ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों और कोरोना की जांच लैब में कार्य कर रहे कर्मियों को मूल वेतन का 25 प्रतिशत प्रोत्साहन भत्ता देने का प्रविधान है। जबकि स्वास्थ्यकर्मियों की मांग है कि कोरोना टीकाकरण व मेडिकल टीमों में कार्यरत कर्मियों सहित सभी को प्रोत्साहन भत्ता दिए जाना चाहिए। इस बात पर स्वास्थ्य कर्मियों ने पूरे प्रदेश में विरोध जताया है। स्वास्थ्यकर्मियों के विरोध के बाद मामले में उच्च अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया।
अपर मुख्य सचिव नियुक्ति मुकुल सिंघल के हस्तक्षेप के बाद कर्मचारियों को वार्ता के लिए बुलाया गया। अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद व प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार के साथ वार्ता हुई, जिसमें कर्मचारियों ने प्रोत्साहन राशि को लेकर पुनर्विचार करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहन राशि देने और मृत्यु के उपरांत 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाए। लेकिन अधिकारियों ने इस बात पर सहमति जताने में असमंजस दिखाते हुए बीच का रास्ता निकालने की पहल की है।
अभी तक नहीं मिली अनुग्रह राशि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत व महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण कार्य में लगे कर्मियों व मेडिकल टीमों में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहन राशि नहीं दी जा रही है। कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को भी अब तक 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि नहीं मिली है। परिषद के उपाध्यक्ष सुनील यादव ने भी मांग की है कि जान जोखिम में डालकर अस्पतालों में ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को तत्काल रुका हुआ महंगाई भत्ता, नगर प्रतिकर भत्ता और परिवार नियोजन भत्ता सहित अन्य भत्ता दिया जाए।