प्रो. डी उदयकुमार ने कहा कि यह प्रतीक चिह्न देवनागरी भाषा के र और रोमन इंग्लिश के आर का मिश्रण है। इससे पहले विभिन्न देशों में मुद्रा प्रतीक अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और यूरोपीय संघ के यूरो के बाद भारत में रुपये का प्रतीक चिह्न बनाया गया।
साइन डिजाइन करना था चुनौती प्रो डी उदयकुमार ने बताया कि इस प्रतीक चिह्न (“) को बनाने के लिए मेरे सामने कई चुनौतियां थीं। मसलन राष्ट्रीयता का स्वरूप बनाए रखना था। इसके लिए तिरंगे के दो रंग हरे और केसरिया की रेखाओं को र प्रतीक चिह्न में ब्लैक लाइन में डिजाइन किया। इसके अलावा मौजूदा टाइपिंग मुद्रण प्रणाली में इस प्रतीक चिह्न के आसान इस्तेमाल का ध्यान रखना था। ये टाइपराइटर में भी टाइप हो सकता है। इससे पहले विभिन्न देशों में मुद्रा प्रतीक अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और यूरोपीय संघ के यूरो के बाद भारत में रुपये का प्रतीक चिह्न बनाया गया।
एक बड़ी जिम्मेदारी थी उन्होने कहा कि, रूपए के चिन्ह को अंतर्राष्ट्रीय रखते हुए भारतीयता से ओत-प्रोत रखना एक बड़ी जिममेदारी थी। इसे डिजाइन करते हुए मेरे मन में भारत की सांस्कृतिक विविधता और अखंडता को दर्शाना प्रथमिता में था। अतिथि वक्ता शुचि कुमार ने बताया कि किसी भी डिजाइन में उसके कालखण्ड की संस्कृति और सांसकृतिक झलक परिलक्षित होती है। वहीं रवि कुप्पर ने बतौर छायाचित्रकार अपने जीवन संघर्ष के बारे में अपने अनुभवों को साझा किया। संगोष्ठी के इस दौरान एमिटी विवि के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष एवं छात्र-छात्राए उपस्थित रहे।