कंसल्टेंट अध्ययन कर बताएगा कि टोल टैक्स की दर कितनी होगी और पहले चरण में किन मार्गों पर टोल टैक्स वसूला जाएगा। इसके लिए वाहनों की ज्यादा संख्या को आधार बनाया जाएगा। कंसल्टेंट की रिपोर्ट में यह भी ध्यान रखा जाएगा कि टोल टैक्स ऐसे राज्य राजमार्गों पर न लगाया जाये, जहां कॉमर्शियल वाहनों की संख्या कम हो और खर्च भी नहीं निकल पाये। कंसल्टेंट को 4 से 6 महीने में शासन को रिपोर्ट देनी होगी। रिपोर्ट के आधार पर स्टेट हाईवे टोल कलेक्शन पॉलिसी बनाई जाएगी, जिसे कैबिनेट में रखा जाएगा।