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दोनों दलों ने मिलकर लड़ा था यूपी विधानसभा चुनावसाल 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव भी सपा और आरएलडी ने मिलकर लड़ा था। जाट, यादव और मुस्लिम वोटों की एकजुटता से आरएलडी को 8 सीटों पर सफलता मिली थी। इस गठबंधन से सपा भी वहां पर मजबूत हुई थी। आरएलडी ने विधानसभा के उपचुनाव में भी एक सीट जीती थी। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी को सिर्फ एक विधानसभा सीट पर सफलता मिली थी।
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समाजवादी पार्टी को यह दूसरा झटकाअखिलेश यादव को यह दूसरा झटका लगा है। इससे पहले ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा भी सपा को छोड़कर एनडीए (NDA) में शामिल हो चुकी है। सपा अब बदली परिस्थितियों को मद्देनजर नए सिरे से पश्चिम यूपी के लिए चुनावी रणनीति बनाने में जुट गई है। सपा और आरएलडी की नजदीकियां साल 2018 में कैराना लोकसभा उपचुनाव में बढ़ी थीं। इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन में आरएलडी भी शामिल हो गई थी।
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2022 में अखिलेश ने जयंत को राज्यसभा भेजासपा- रालोद गठबंधन को मजबूत करने के लिए ही अखिलेश यादव ने 2022 में जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजा था। सपा ने आरएलडी के साथ 2024 लोकसभा चुनाव में गठबंधन की घोषणा 19 जनवरी को करते हुए। 7 लोकसभा सीटें देने पर सहमति जताई थी। आरएलडी के साथ रहने से पश्चिम यूपी को लेकर सपा और अखिलेश निश्चित दिखाई दे रहे थे।
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6 साल पुरानी गठबंधन टूटने के कगार परजयंत चौधरी के बदले रुख से अब करीब 6 साल पुरानी दोस्ती टूटने के कगार पर है। ऐसे में पश्चिमी यूपी के प्रमुख नेताओं को लेकर सपा प्रमुख ने नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गए हैं। आरएलडी को दी जाने वाली 7 सीटों में से अब ज्यादातर पर सपा खुद लड़ेगी। इंडिया गठबंधन(india Alliance) में शामिल कांग्रेस को भी इसमें से एक से दो सीट मिल सकती है।
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सपा प्रवक्ता ने कहा आने-जाने से फर्क नहीं पड़तासपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि चुनाव के समय आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। किसान जानते हैं। उनकी हितैषी पार्टी केवल समाजवादी ही है। चौधरी चरण सिंह के विचारों को मानने वाली पार्टी सपा ही है। बीजेपी कभी भी उनके विचारों को नहीं मानती। बीजेपी के सांप्रदायिक एजेंडे के खिलाफ समाजवादी पार्टी पूरी मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेगी।