लखनऊ. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव भले ही सार्वजनिक मंच से अगले मुख्यमंत्री के तौर पर बेटे अखिलेश का नाम लेने से बच रहे हों, लेकिन पार्टी के अधिकांश नेताओं की पहली पसंद अखिलेश यादव ही हैं। सपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने शिवपाल व अखिलेश में छिड़ी वर्चस्व की जंग पर साफ कहा कि वारिस बेटा होता है, भाई नहीं। इसे लेकर लोगों को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए। नई दिल्ली में एक टीवी कार्यक्रम में नरेश अग्रवाल ने कहा कि मुलायम सिंह यादव का कहना है कि सपा शंकर जी की बारात की तरह है। इसमें कई तरह के लोग एक साथ चलते हैं। नोटबंदी पर बोलते हुए सपा नेता ने कहा कि नोटबंदी से आम आदमी काफी आक्रोशित है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को जनता सबक सिखाएगी। ये भी पढ़िए- अखिलेश ने किया मेट्रो का उद्घाटन, भाजपा-बसपा का अपना-अपना दावा देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश को महत्वपूर्ण बताते हुए नरेश अग्रवाल ने कहा कि यह ऐसा प्रदेश है, चाहे किसी भी दल का प्रधानमंत्री हो वह यूपी पर अलग से मीटिंग करता है। सपा नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी अगर बनारस से चुनाव नहीं जीतते तो वह कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाते, यह बात मैंने उनसे खुद कही थी। खुलकर बोलने से बचते रहे हैं मुलायम 2017 में समाजवादी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री अखिलेश होंगे या नहीं मुलायम सीधे तौर पर कुछ भी कहने से बचते रहे हैं। एक कार्यक्रम के दौरान सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने साफ कहा था कि चुनाव जीतने के बाद विधानमंडल दल के नेता ही तय करेंगे कि कौन मुख्यमंत्री होगा। सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव भी ऐसा ही बात कह चुके हैं, लेकिन बाद में उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद की चाहत नहीं हैं। नेताजी जो भी कहेंगे वह उसे मानेंगे। ये भी पढ़िए- कांग्रेस ने की चुनाव आयोग से शिकायत, कहा- जुमलेबाज प्रधानमंत्री दें जवाब सपा में अभी सब कुछ ठीक नहीं है समाजवादी पार्टी में अभी सबकुछ ठीक नहीं हैं। माफीनामे के बाद भी अब तक बर्खास्त युवा नेताओं की पार्टी में वापसी नहीं हुई है। वहीं शिवपाल यादव सहित पूर्व मंत्रियों की भी अखिलेश कैबिनेट में वापसी नहीं हुई है। सपा परिवार भले ही अभी इन अहम सवालों पर समाधान न निकला हो, लेकिन मुलायम सिंह यादव जल्द ही चुनाव से पहले सपा मुखिया फिर पूरे परिवार संग बैठकर एकजुट होने की बात कहेंगे। सूत्रों की मानें तो मुलायम चाहते हैं कि चुनावी तैयारियां किसी भी तरह से प्रभावित न हों और संभावित प्रत्याशियों का टिकट फाइनल करने में दिक्कत न आए। उनकी कोशिश है कि हाल-फिलहाल की पुरानीस सभी बातों को भुलाकर आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी एकजुट हो जाएं। कौन हैं नरेश अग्रवाल राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल यूपी की राजनीति में बड़े वैश्य नेता हैं। समाजवादी पार्टी से सांसद नरेश अग्रवाल की वैश्य समाज में अच्छी पकड़ है। यही वजह है कि यूपी में सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो, इनका प्रभाव रहता है। नरेश अग्रवाल अब तक सात बार एमएलए रह चुके हैं। नरेश अग्रवाल का हरदोई और आसपास के इलाकों में अच्छा जनाधार है। व्यापारी वर्ग में भी उनकी अच्छी पैठ है। उनके बारे में कहा जाता है कि हवा के बदलते रुख के साथ नरेश अग्रवाल भी पाला बदलने में माहिर हैं। जानकारों की मानें तो उन्हें इस बात का अंदाजा रहता है कि चुनाव से पहले लहर किस ओर है। उनके सभी पार्टियों के नेताओं से संबंध अच्छे हैं। उन्होंने निर्दलीय के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी लेकिन फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। ये भी पढ़िए- बीजेपी, कांग्रेस और सपा के रथ में ओवैसी ने लगाई ‘लंगड़ी’