राजनीतिक जानकारों की मानें तो मध्यप्रदेश के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सपा को न तो एक सीट दी ना ही इनसे कोई सलाह ली। हालांकि, सपा की तरफ से बार बार दावा किया जा रहा था कि उसके बगैर लिए चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ेगा। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां की 90 विधानसभा सीटों में से 37 सीटों पर जीत मिली। बहुमत के आंकड़े से कांग्रेस काफी पीछे रह गई। सपा की हरियाणा विंग की तरफ से दावा किया गया कि अगर गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा जाता तो शायद आज यहां गठबंधन की सरकार में होती। लेकिन मध्य प्रदेश के बाद हरियाणा में उपेक्षा के कारण कांग्रेस का यह दशा हुई है।
इंडिया गठबंधन के रणनीतिकार भी कहते हैं कि हरियाणा चुनाव में अगर विपक्षी दल एक साथ मिलकर लड़ते तो शायद तस्वीर कुछ अलग होती। क्योंकि 13 सीटों में अगर अंतर को देखेंगे तो वह पांच हजार से कम का है।
‘दोनों दलों को वोट बैंक बचाने के लिए गठबंधन की जरूरत’
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दल एक दूसरे के पूरक हैं। जहां जो मजबूत है उसके सहारे के बगैर कांग्रेस नहीं चल सकती है। इसका सीधा उदाहरण हरियाणा चुनाव में देखने को मिला है। गठबंधन बचाने के लिए कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना पड़ेगा। क्योंकि अगर बात यूपी की करें तो यहां लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से मुस्लिम और दलित वोट कांग्रेस को मिला है। उसके पीछे का कारण गठबंधन ही है। इस बात को सपा और कांग्रेस के लोग जानते हैं। इसी कारण हरियाणा के परिणाम आने के बाद अखिलेश यादव कह चुके हैं कि इंडिया गठबंधन बरकरार रहेगा और इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी समाजवादी उठाएंगे। रावत का कहना है कि दोनों दलों को एक दूसरे का वोट बैंक बचाने के लिए गठबंधन की जरूरत है। यह भी पढ़ें
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‘लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन में आए कई उतार चढ़ाव’
सपा प्रवक्ता अशोक यादव का कहना है कि सपा जब किसी से गठबंधन करती है तो चार कदम पीछे भी हटने को तैयार रखते हैं। हरियाणा में कांग्रेस ने भले ही सीट न दी हो लेकिन सपा ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। लोकसभा चुनाव के दौरान भी गठबंधन में कई उतार चढ़ाव आए लेकिन गठबंधन में कोई आंच नहीं आई। संविधान बचाने और पीडीए के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए गठबंधन की जरूरत दोनों दलों को है। जैसा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही कह चुके हैं यह बरकरार रहेगा। जहां तक बात रही उपचुनाव की तो सपा यहां पर सबसे बड़ा विपक्षी दल है। बड़ी जिम्मेदारी है। हमारे हिसाब से कांग्रेस को चुनाव लड़ना पड़ेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष जी जो तय करेंगे वही फॉर्मूला अपनाया जाएगा। क्योंकि बात सीट की नहीं जीत की है। यह भी पढ़ें