scriptजहां मिलता है सांप काटे लोगों को जीवनदान | Snake temple of Asteek Baba at Raibareli | Patrika News
लखनऊ

जहां मिलता है सांप काटे लोगों को जीवनदान

आस्तीक मुनि की तपस्थली पर किसी भी विषैले सांप द्वारा काटे व्यक्ति को लाने पर जीवनदान जरूर मिलता है।

लखनऊNov 26, 2016 / 07:04 pm

UP Patrika

dharm astha

dharm astha

रायबरेली. भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ स्थान हैं] जिनका संबंध न सिर्फ लोगों की आस्था से बल्कि उनके जीवन से जुड़ा हुआ है। ऐसा ही एक दिव्य तीर्थ उत्तर प्रदेश के रायबरेली से 15 किमी दूर पर स्थित है। आस्तीक मुनि की तपस्थली रही इस पुण्यभूमि पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां पर किसी भी विषैले सांप द्वारा काटे व्यक्ति को लाने पर जीवनदान जरूर मिलता है। रायबरेली के लालूपुर में स्थित आस्तीक बाबा के भव्य मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह कलयुग की शुरूआत के समय का है और इसी पावन स्थान पर कभी आस्तीक मुनि साधना, तप आदि किया करते थे। इस मंदिर में आज भी वह प्राचीन हवनकुंड मौजूद है] जिसमें कभी आस्तीक मुनि हवन किया करते थे।

पुष्प नहीं लकड़ियों द्वारा होती है अराधना

dharm astha

आस्तीक मंदिर में अपने आराध्य देवता को प्रसन्न करने की परंपरा भी अद्भुत है। यहां पर लोग सर्पदंश का जहर दूर करने और मनौती पूरी करने के लिए पुष्प की बजाए लकड़ियां चढ़ाते हैं। ये लकड़ियां मानव आकृति लिए होती हैं। इन्हें आस्तीक मुनि का पहरेदार कहा जाता है। मंदिर में चढ़ाई जाने वाली लकड़ियां काम नाम के पेड़ की होती हैं।

नागवंश के रक्षक है आस्तीक बाबा

snake


महाभारत काल में जब नागवंशी योद्धा तक्षक ने जब अर्जुन के पुत्र परीक्षित के प्राण हर लिए तो परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने क्रोधित होकर अनेक नागपुरूषों को बंदी बनाकर आग में जीवित झोंक दिया था। इसे सर्प यज्ञ का नाम दिया गया था। उस समय आस्तिक मुनि ने कुछ प्रमुख नागों को बचा लिया था। चूंकि आस्तिक मुनि ने श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन नागों की रक्षा की थी] इसलिए यह दिन नागपंचमी के रूप में मनाया जाने लगा। मुनि द्वारा स्वयं के प्राण बचाए जाने पर सर्पो ने आस्तिक मुनि को वरदान दिया कि जहां कहीं भी उनका नाम लिया जाएगा सर्प किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।

इस मंत्र से सांप नहीं पहुंचाते नुकसान

snake


आस्तीक बाबा का इस मंदिर का सांपों से गहरा जुड़ाव है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था है कि आज भी ^^मुनि राजम् अस्तिकम् नमः** मंत्र का जाप करते ही सर्प जिस स्थान से आए होते हैं] वहां को लौट जाते हैं। महज बाबा का नाम सुमिरन करने से ही सर्प से जुड़ी तमाम बाधाओं का निवारण हो जाता है।

लगता है भव्य मेला

आस्तीक बाबा के मंदिर की प्रसिद्धि इतनी है कि हर साल लाखों की संख्या में लोग यहां पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। नागपंचमी के दिन यहां पर एक भव्य मेला लगता है। जिसमें अधिक से अधिक लोग पहुंचकर मन्नतें मांगते हैं। श्रद्धालु समीप बहने वाली सई नदी में स्नान कर मंदिर प्रांगण में साधना-अराधना करते हैं। मंदिर के प्रबंधक प्रदीप के अनुसार लोगों की श्रद्धा उन्हें हजारों मील दूर से यहां पर खींच लाती है और उन्हें यहां आने के बाद एक अलग ही आध्यात्मिक अनुभूति होती है।
snake

सदियों से होती रही है नागपूजा

नागों की पूजा हमारे यहां प्राचीन काल से होती रही है। हिंदू मान्यता के अनुसार हमारी धरती शेषनाग के फनों पर टिकी हुई है जबकि भगवान शिव के गले में सर्प माला के रूप में लिपटे हुए हैं। शिवलिंग के चारों ओर बने अरघे में घेरा डालकर फन फेलाए नाग देवता को देखकर हमारे हाथ स्वयं ही उनको नमन के लिए उठ जाते हैं। इस धर्मप्राण देश में सांपों के प्रति लोगों की आस्था ऐसी है कि भगवान शिव के मंदिर के बाहर अनेक संपेरे अपनी डलिया में डाले सांपों लेकर इस आशा में खडे रहते हें कि श्रद्धालु अपनी श्रद्धा का कुछ अंश उनके जीवन निर्वाह के लिए जरूर डाल कर जाएंगे।

Hindi News / Lucknow / जहां मिलता है सांप काटे लोगों को जीवनदान

ट्रेंडिंग वीडियो