लखनऊ

श्रावस्ती लोकसभा सीट- बौद्ध की इस धरती वोट की भिक्षा

बाहुबलियों ने भी फहराया परचम

लखनऊApr 30, 2019 / 05:58 pm

Anil Ankur

Shrawasti loksabha seat: leaders are bagging vote like a baudh bhikshu

Anil K. Ankur
श्रावस्ती। बौद्ध की धरती पर लोग शांति ढूंढने आते हैं। सच की तलाश करने आते हैं। पर आजकल लोग वोट मांगने आ रहे हैं। इतना ही नहीं बौद्ध के अनुयाइयों को भिक्षु और भंते के रूप में न देखकर नेता उन्हें वोटर के रूप में देख रहे हैं। शांति और समृद्धि की कामना करने वालों के बीच बाहुबलियों ने भी अपना परचम फहराने में सफलता हासिल की है। इस बार फिर से नेता नगरी श्रावस्ती की पवित्र धरती वोट की भिक्षा मांगने निकल पड़ी है। अब देखना होगा कि मौजूदा भाजपा सांसद दद्दन मिश्रा और बसपा-सपा के संयुक्त प्रत्याशी और कांग्रेस के नेता कितनी भिक्षा बटोर पाते हैं।
अटल से लेकर नानाजी देशमुख तक ने अजमाई थी किस्मत

श्रावस्ती लोकसभा बनने से पहले यह क्षेत्र बलरामपुर में आता था। जहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, प्रख्यात समाजसेवी नानाजी देशमुख ने अपना परचम लहराया था। उसके बाद तो यहां से बाहुबलियों ने हुंकार भरी और जीत भी हासिल की। जो बाहुबली यहां से किस्मत अजमा चुके हैं उनमेंं रिजवान जहीर, बृजभूषण शरण सिंह, अतीक अहमद और पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी के पुत्र कुशल तिवारी शामिल हैं। खास बात तो यह रही कि इतने बाहुबलियों में केवल रिजवान जहीर, बृजभूषण शरण सिंह ही यहां से जीत सके।
ऐतिहासिक महत्व है श्रावस्ती का
प्राचीन दंत कथाओं के मुताबिक भगवान राम के पुत्र लव ने इस क्षेत्र को अपनी राजधानी बनाया था। फिर इसके बाद गौतम बुद्ध ने इस कोशल क्षेत्र में श्रावस्ती को अपनाया तो यह स्वत: आर्थिक राजधानी के रूप में विकसित हो गई। प्राचीन इतिहास को अगर देखें तो पता चलता है कि यह क्षेत्र एक समय में बहुत ही सबल इलाके के रूप में विकसित हुआ था। फिर धीरे धीरे यह क्षेत्र पिछड़ता चला गया। अब बारिश के मौसम में नेपाल के पानी छोडऩे के बाद यहां त्रास्दी का आतंक मचता है।
त्रिकोणीय संघर्ष है इस सीट पर

यूं तो भाजपा के सिटिंग एमपी दद्दन मिश्रा मैदान में एक बार फिर से हैं। पर उन्हें यहां पर टक्कर दे रहे हैं सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस। गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में आ गई। गठबंधन ने अम्बेडकरनगर निवासी राम शिरोमणि मौर्य पर दांव लगाया है। भाजपा सांसद दद्दन मिश्रा भी 2007 का चुनाव भिनगा विधानसभा से बसपा के टिकट पर जीत चुके हैं। यह भी कहा जा रहा है कि सांसद से जनता नाराज है, पर दूसरे नेताओं से भी खुश नहीं है। राम खिलावन कहते हैं देखिए, यहां अब तक क्या हुआ। न पीने का पानी मिलता है और न ही पढ़ाई के लिए स्कूल। रोजगार की तो यह बात ही नहीं होती। ये सब चुनाव में आते हैं और उसके बाद भूल जाते हैं। हम वोट दें तो भी जीतेंगे और न दें तो भी। क्या फायदा किसी को जिताने से और किसी को हराने से। सब एक से ही हैं।

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