किसी को किसी की परवाह नहीं सब कोई अपना-अपना ही बचाने में लगे हुए हैं। पंचायत सब करते हैं लेकिन समाधान जल्दी कोई नहीं निकालता । इसका सबसे बड़ा उदहारण हैं श्रद्धा हत्याकांड। अब सोचेंगे कैसे, दिमाग में बहुत सी बाते आने लगी होंगी लेकिन अपने दिमाग को ज्यादा परेशान ना करिये, बात बिलकुल ही सीधी हैं। अनुशासन,संस्कार जो हमें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाते हैं। मेरी ये बात बहस का मुद्दा जरूर बन सकती हैं लेकिन इन बातो को हैं सभी को समझना होगा। यह श्रद्धा नहीं ,श्रद्धा जैसे तमाम लड़कियों के लिए एक सतर्क रहने का सिगनल हैं।
श्रद्धा की वो चार गलतियां जो शायद बचा सकती थी उसको जान, जानिए कैसे 1 . पहली गलती श्रद्धा से वो हुई जो उसने अपने माता -पिता को अपने से दूर किया और उनको भरोसा दिलाने के बजाय आफताब के साथ लिव-इन में रहना पसंद किया। जबकि श्रद्धा आफताब को ज्यादा जानती भी नहीं थी। मतलब माता – पिता से ज्यादा भरोसा लडके पर किया।
2 .श्रद्धा की दूसरी गलती अगर श्रद्धा अपने सेज माता -पिता को छोड़ने की ताकत रख सकती थी तो अपने गलत फैसले को भी छोड़ सकने की हिम्मत दिखा सकती थी। लेकिन उसने ऐसा बिलकुल ही नहीं किया। माँ -पिता की बात बुरी लगी और उस लडके की बात अच्छी लगी,नतीजा सभी के सामने।
3 . तीसरी वो गलती जिसके बाद भी श्रद्धा को नहीं आया समझ ,जब आफताब उसके साथ मारपीट करता था बुरी तरह से मारता था उसने यह बात अपने दोस्तो को भी बताई थी और दोस्तों ने उसे बचाया भी था। लेकिन श्रद्धा ने आफताब को फिर बचा लिया और पुलिस केस नहीं किया सुलह करना पसंद किया। अगर श्रद्धा इस गलती पर भी साहस दिखा देती तो शायद आज वो हमारे बीच होती।
4 .श्रद्धा की चौथी और सबसे बड़ी गलती, उसने अपने माता -पिता से भी सम्बन्ध तोड़े साथ ही उसने अपने सभी परिचितों और दोस्तो से भी दुरी बना ली। जिसकी वजह से आफताब के मन से डर निकल चुका था। वो जान चूका था कि श्रद्धा का साथ कोई नहीं देगा और वो कामियाब हो गया। अगर श्रद्धा सबके साथ रिश्ता रखती तो शायद ये घटना नहीं होती।
आखिरी पल : श्रद्धा वाकर को आखिरी पल में जरूर याद आई होगी। अपने माता -पिता की, तब तक आफताब ने उसका गला दबा कर उसको मौत के घाट उतार दिया था। आज भी उसकी आत्मा को शांति नहीं होगी। वो रोना चाहती होगी अपनी माँ और पिता के सीने से लिपट कर लेकिन वो वह सब नहीं कर सकती आज वो जहा है वहा भी उसको अकेले ही रहना हैं। वो जरूर कहना चाहती होगी हर लड़की से जो गलती उससे हुई वो गलती वो ना करें।
निर्देश और चेतावनी : अगर किसी भी लड़की को लगे की उसके साथ कुछ गलत हो रहा है वो चुप नहीं रहे सबसे पहले अपने माता -पिता को बताए और कभी भी कोई भी फैसला लेने से पहले माता -पिता को भरोसे में जरूर ले। ये कहना है नेशनल महिला संगठन की अध्यक्ष वर्षा का।
डॉ अंजलि श्रीवास्तव ने भी कहा कि लड़कियों को ध्यान में रखना चाहिए की वो जिस के साथ में लिव-इन में हैं उसका पारिवारिक रहन – सहन कैसा हैं। पारिवारिक रहन-सहन ही इंसान के व्यक्तित्व को दिखता हैं। साथ ही उन्होंने कहाकि सभी को सतर्क रहने की जरूरत हैं चाहे बच्चे हो या उनके माता -पिता।