अस्पताल में सारे बेड फुल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लगातार दावे कर रहे हैं कि अस्पतालों में बेड की कमी नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सभी जिलों के डीएम और सीएमओ को आगाह किया है कि गंभीर मरीजों को अस्पताल में बेड मिलने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए लेकिन इसके बावजूद जरूरतमंदों को बेड नहीं मिल पा रहा है। सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट अस्पताल में भी बेड खाली नहीं मिल रहे। लखनऊ में एल-3 अस्पतालों में आईसीयू के बेड फुल हो गए हैं। इसी तरह संगमनगरी प्रयागराज में भी निजी कोविड अस्पतालों में भी बेड खाली नहीं हैं। समय पर बेड नहीं मिलने से मरीज और तीमारदार परेशान हैं। दूसरी तरह प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड नहीं मिलने से मरीज परेशान हैं। कई मरीज अस्पताल की चौखट पर ही दम तोड़ रहे हैं।
लखनऊ के सरकारी और निजी एल-3 कोविड अस्पतालों के आईसीयू भर गए हैं। रोजाना यहां 100 से ज्यादा मरीज भर्ती के लिये आते हैं। बेड न मिलने से निराश होकर वापस लौट रहे हैं। पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में भारी संख्या में आईसीयू बेड होते हुए भी मरीजों को नहीं मिल पा रहे है। इसी तरह प्रयागराज में सरकारी के साथ निजी अस्पताल भी भर गए हैं। गंभीर मरीजों को भी लौटाया जा रहा है। लोग मरीजों को बचाने के लिए एक से दूसरे अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं।
गोरखपुर में न हुई जांच, न बनी टीम गोरखपुर जिले में लगभग 45 अस्पताल हैं जिसमें से 1600 बेड फुल चल रहे हैं। इसकी जांच के लिए जिले स्तर पर किसी टीम का गठन नहीं हुआ है, जो अस्पतालों में जाकर यह जांच कर सके कि आईसीयू में ऐसे मरीज तो भर्ती नहीं हैं, जिन्हें आईसीयू की जरूरत नहीं हैं। हालांकि, इस पर सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी भी टीम को बनाने का निर्देश नहीं मिला है। कोविड अस्पताल के अंदर कोई जाना भी नहीं चाहता है और जाना भी नहीं चाहिए, क्योंकि वहां वायरस लोड बहुत अधिक है।
बेड के लिए मारामारी यूपी के इटावा जिले में अस्पताल के लिए मारामारी है। यहां अस्पताल में कोविड मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ कर्मचारियों की लापरवाही भी जारी है। यहां मृतक के परिजनों का आरोप है कि कोविड अस्पताल में स्टाफ लापरवाही बरत रहा है, उन्हें खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर लाने पड़ रहे हैं लेकिन फिर भी डॉक्टर देखने के लिए नहीं आ रहे हैं।