यह आयोजन कोई राजनीतिक आयोजन नहीं है- अयोध्या पहुंचे शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत ने बताया कि अयोध्या में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे 24 तारीख को आयेंगे, जहाँ अयोध्या के बाईपास के पास उनका भव्य स्वागत किया जाएगा जिसके बाद दोपहर 3 बजे लक्ष्मण किला के मैदान में आशीर्वाद समारोह व संत पूजन का कार्यक्रम किया जाएगा। यह आयोजन कोई राजनीतिक आयोजन नहीं है। अयोध्या के संत नागरिक के साथ शिवसेना के अन्य सहयोगी संगठन मौजूद होंगे। इस आयोजन में अयोध्या के सभी साधू संतों को आमंत्रित किया है। जिसको सभी संतों ने स्वीकार किया है।
सभी के रुख सकारात्मक हैं- उन्होंने बताया कि सोमवार देर शाम विश्व हिंदू परिषद के मुख्यालय कारसेवक पुरम में विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय ने केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज से मुलाकात की है, जहाँ अयोध्या के सांसद, विधायक तथा मेयर भी मौजूद रहे। सभी को इस कार्यक्रम में आने को लेकर निमंत्रण दिया है। सभी के रुख सकारात्मक है। इस कार्यक्रम के दौरान सभी आना चाहते हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अयोध्या आ रहे हैं, जिनका प्रमुख कार्यक्रम रामलला का दर्शन करना है। हमारे इस कार्यक्रम में थोड़ा सा फेरबदल हुआ है, लेकिन 25 तारीख की घोषणा पूर्व में ही दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे ने की थी, लेकिन विश्व हिंदू परिषद का आयोजन भी इसी दिन किया जाना है, तो हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है। सभी हिंदूवादी संगठन है और सभी देश की ताकत है अयोध्या में सभी संत महात्मा एक दूसरे का हाथ पकड़ कर ही राम मंदिर निर्माण का कार्य करेंगे।
बाला साहब की दिलाई याद- राउत ने मंदिर आंदोलन और शिवसेना के रिश्ते की भी याद दिलाई और बताया कि मंदिर आंदोलन में बाला साहब का बहुत बड़ा योगदान था और अयोध्या में बाबरी ढांचा रूपी कलंक मिटाना बाला साहब के सहयोग से ही संभव हो सका।
400 से अधिक सांसदों का समर्थन मिलेगा-
वैसे विश्व हिंदू परिषद का शिवसेना के कार्यक्रम को लेकर और शिव सेना का विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम को लेकर सहयोगात्मक भाव है और समर्थन भी प्राप्त है लेकिन तल्खियां भी झलकती है। दोनों संगठनों का कहना है, कि राम मंदिर निर्माण के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए जो भी कार्यक्रम होगा, उसका स्वागत है, वैसे शिवसेना के राज्यसभा सांसद का दावा है, कि कानून बनाकर ही राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है और यदि केंद्र सरकार संसद में कानून लाती है तो भाजपा और शिवसेना ही नहीं कांग्रेस के भी कई सांसद इसका समर्थन करेंगे और मंदिर निर्माण के कानून के पक्ष में 400 से अधिक सांसदों का समर्थन मिलेगा।