लखनऊ

शिवपाल आजम पर डाल रहे डोरे, क्या कुछ बड़ा होने वाला है, यूपी को मिलेगी एक नई पार्टी! पढ़ें रिपोर्ट

विधानसभा चुनाव बीते अभी एक माह भी नहीं हुए हैं कि अखिलेश यादव और सपा के प्रति मुस्लिमों का मोहभंग होना शुरू हो गया है शिवपाल के बाद अब सपा के दिग्गज नेता व पार्टी के मुस्लिम चेहरा आजम खान के पार्टी से जल्द ही अलग होने की चर्चाएं तेज हो गयी हैं। इसी के साथ पार्टी के मुस्लिम नेताओं ने भी बगावती रुख अपना लिया है। सपा के लंभुआ विधानसभा क्षेत्र महासचिव सलमान जावेद राईन ने पार्टी अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि अखिलेश मुस्लिमों की आवाज नहीं उठाते।

लखनऊApr 14, 2022 / 03:52 pm

Prashant Mishra

लखनऊ. उप्र के सबसे बड़े सियासी परिवार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। विधानसभा और विधानपरिषद चुनाव में सपा की करारी हार के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। छोटे भाई प्रतीक यादव की पत्नी अर्पणा यादव भाजपा में शामिल होकर हर रोज एक नया बयान जारी करती हैं। उधर, मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव भी अखिलेश के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। गुरुवार को मैनपुरी में अखिलेश यादव और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव एक मंच पर थे। यहां मुलायम ने कहा, परिवार में सब ठीक है। अखिलेश और शिवपाल में कोई अनबन नहीं है। लेकिन इसस उलट शिवपाल ने ऐसे संकेत दिए हैं जिससे लगता है कि वह सपा के कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान के साथ नया मंच बनाने की तैयारी में हैं। क्योंकि, शिवपाल को भाजपा में शामिल कराने में अभी देरी है। इसलिए आजम-शिवपाल का यह मंच काम करना शुरू किया तो अखिलेश की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
मुस्लिम नेताओं ने अपनाया बगावती रुख

विधानसभा चुनाव बीते अभी एक माह भी नहीं हुए हैं कि अखिलेश यादव और सपा के प्रति मुस्लिमों का मोहभंग होना शुरू हो गया है। ्रशिवपाल के बाद अब सपा के दिग्गज नेता व पार्टी के मुस्लिम चेहरा आजम खान के पार्टी से जल्द ही अलग होने की चर्चाएं तेज हो गयी हैं। इसी के साथ पार्टी के मुस्लिम नेताओं ने भी बगावती रुख अपना लिया है। सपा के लंभुआ विधानसभा क्षेत्र महासचिव सलमान जावेद राईन ने पार्टी अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि अखिलेश मुस्लिमों की आवाज नहीं उठाते।
आजम के संपर्क में शिवपाल

आजम के करीबी शिवपाल के संपर्क में हैं। शिवपाल ने भी आजम की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान ने भी अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि अखिलेश यादव ने पिछले ढाई साल में आजम को जेल से छुड़ाने के लिए कोई आंदोलन नहीं किया।
नए नेता पैदा करने होंगे

अखिलेश यादव इस समय सपा के अकेले खेवहनहार बचे हैं। उनके विश्वसनीय चेहरे चुनाव हार चुके हैं। पार्टी के बूढ़े नेता अब अशक्त और कमजोर हो चुके हैं। ऐसे में पार्टी चलाने के लिए सपा को तेजतर्रार और अनुभवी नेताओं की जरूरत है। अनुराग भदौरिया जैसे राष्ट्रीय प्रवक्ताओं को पार्टी में आगे लाना हो जो हर मंच पर पार्टी का पक्ष रख सकें। कुछ इसी तरह अन्य जुझारू नेताओं को भी पार्टी की विभिन्न विंग की कमान सौंपनी होगी तब जाकर पार्टी जमीनी स्तर पर संघर्ष करती नजर आएगी।

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