लखनऊ

मंच पर माइक छीनने से सदन में अगल-बगल तक, 10 साल में कैसे बदलते रहे अखिलेश-शिवपाल के रिश्ते

उत्तर प्रदेश की राजनीति में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव का रिश्ता काफी उतार-चढ़ाव का रहा है।

लखनऊFeb 19, 2023 / 05:17 pm

Rizwan Pundeer

चाचा शिवपाल यादव के साथ अखिलेश यादव(लाल टोपी में))

विधानसभा में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव अब साथ-साथ बैठेंगे। संगठन में बड़े पद के बाद अखिलेश ने सदन में भी अब चाचा को अहमियत दी है। सदन में अगल-बगल बैठने जा रहे अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का रिश्ता ‘कितने दूर कितने पास’ का रहा है। बीते एक दशक में दोनों मंच तक पर लड़ चुके हैं तो सुलह का भी ये पहला मौका नहीं है।

अखिलेश के सीएम बनने के बाद सामने आई अनबन
मुलायम सिंह के समय में समाजवादी पार्टी में काफी समय तक शिवपाल यादव नंबर-2 की हैसियत में रहे। उनको पार्टी में अखिलेश यादव से चुनौती मिली 2012 के चुनाव के बाद। 2012 में सपा की जीत के बाद शिवपाल चाहते थे कि मुलायम ही सीएम बनें लेकिन अखिलेश पिता को अपने नाम पर मनाने के लिए कामयाब रहे।

अखिलेश के सीएम बनने के बाद एक ओर सरकार में खींचतान शुरू हुई तो दूसरी तरफ संगठन में। अंदर-अदर चली लड़ाई 2016 में इस स्तर पर पहुंच गई मंच पर चाचा-भतीजा भिड़ गए।


मुख्तार अंसारी के नाम पर हुई थी तकरार
शिवपाल यादव और अखिलेश में खींचतान खुलेतौर पर प्रदेश के लोगों ने जून 2016 में देखी। इस समय गाजीपुर से बसपा के सांसद अफजाल अंसारी के साथ तब शिवपाल यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने अफजाल अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय की घोषणा कर दी।

शिवपाल के ऐलान के कुछ ही देर बाद अखिलेश यादव ने कहा कि सपा को किसी गठबंधन या विलय करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि मुख्तार अंसारी उनकी पार्टी में नहीं आएंगे।

इस विलय के सूत्रधार उस समय माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव थे। अखिलेश ने उनको बर्खास्त कर दिया। कौमी एकता दल के विलय का फैसला भी अखिलेश ने पलट दिया। इस घटनाक्रम के बाद तो जैसे चाचा-भतीजे में तलवारें खिंच गईं। अखिलेश ने शिवपाल यादव से कई अहम मंत्रालय भी वापस ले लिए।
akhilesh_shiv_neta.jpg

जब शिवपाल ने भतीजे का माइक छीन लिया
2016 में ही अक्टूबर में मुलायम सिंह यादव ने एक बैठक बुलाई। इसमें शिवापल और अखिलेश यादव दोनों को बुलाया गया। इस बैठक में बात इतनी बढ़ी कि भाषण दे रहे अखिलेश यादव के हाथ से शिवपाल ने माइक छीन लिया।

मंच से ही शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह से कहा, नेताजी आपका मुख्यमंत्री झूठा है। इसके बाद शिवपाल ने अखिलेश की तरफ देखते हुए कहा, क्यों झूठ बोलते हो? इसके बाद मंच पर धक्मामुक्की की स्थिति हो गई।
https://youtu.be/QXPhS4yBNQ4

2017 के चुनाव में फिर आ गए साथ

2016 में हुए तमाम झगड़े के बाद दोनों में चुनाव के समय सुलह हो गई। अखिलेश यादव ने 2017 के चुनाव में शिवपाल को जसवंत नगर से टिकट दिया और वो चुनाव जीते।

यह भी पढ़ें

UP Budget: 2024 पर होगी योगी सरकार की नजर, कर सकती है 5 बड़े ऐलान



चुनाव होते ही फिर झगड़ा
2017 का चुनाव खत्म होते ही शिवपाल यादव और अखिलेश में फिर अनबन शुरू हो गई। इस बार ये इतनी बढ़ी कि शिवपाल ने 2018 में अपनी पार्टी प्रसपा का गठन कर लिया।

2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव ने कई सीटों पर, खासतौर से सपा की मजबूत सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। फिरोजाबाद से रोमगोपाल यादव के लड़के अक्षय यादव के सामने वो खुद उतरे। प्रसपा कोई सीट नहीं जीत सकी लेकिन उसने सपा को कुछ नुकसान जरूर किया।

2022 में फिर आ गए साथ
2019 लोकसभा के 3 साल बाद यूपी में विधानसभा का चुनाव हुआ। चुनाव में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव की दखल के बाद शिवपाल और अखिलेश साथ आ गए। शिवपाल ने सपा के टिकट पर ही जसवंतनगर से एक बार फिर चुनाव जीता।

रिजल्ट आते ही फिर रार
2022 के विधानसभा चुनाव का नतीजा आने के एक महीना बाद ही साथ दिख रहे चाचा-भतीजे में फिर रार शुरू हो गई। लखनऊ में सपा ने विधायकों की बैठक बुलाई तो उसमें शिवपाल यादव को न्योता नहीं दिया।

न्योता ना मिलने से खफा शिवपाल ने अखिलेश को खरीखोटी सुनाई। इस पर सपा ने भी एक पत्र जारी कर दिया। जिसमें कहा गया कि शिवपाल यादव जहां चाहें जा सकते हैं, सपा की ओर से कोई बंधन नहीं है। पत्र के बाद साफ हो गया कि अब चाचा-भतीजा में कोई तालमेल नहीं है।
akhieh_dimple_shivpal.jpg

मैनपुरी उपचुनाव ने फिर किया एक
बीते साल मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी में उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में सपा ने डिंपल यादव को कैंडिडेट बनाया। डिंपल खुद शिवपाल यादव के घर पहुंची और उनसे समर्थन मांगा। डिंपल खुद चलकर आई तो शिवपाल और उनके बेटे आदित्य ने उनको जमकर इलेक्शन लड़ाया।

डिंपल की बड़ी जीत के बाद शिवपाल ने अपनी पार्टी का सपा में विलय करते हुए ऐलान कर दिया कि अब वो सपा में ही रहेंगे। इसके बाद अखिलेश यादव ने भी उनको संगठन में महासचिव बनाया तो सदन में भी उनको अपने बराबर में बैठाने का फैसला लिया है। अब ये नजदीकी कब तक चलेगी, ये देखने वाली बात होगी।

Hindi News / Lucknow / मंच पर माइक छीनने से सदन में अगल-बगल तक, 10 साल में कैसे बदलते रहे अखिलेश-शिवपाल के रिश्ते

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.