विदेशी फंडिग से मौलवी करा रहे विवाद रिजवी ने आगे कहा कि पुरातत्व विभाग की खुदाई में विवादित स्थल पर मंदिर के अवशेष मिलने की बात कही गई है। मीर बाकी ने जो विवाद शुरू कराया था उसके कारण अब तक हज़ारों जानें जा चुकी हैं। आज वह मस्जिद भी मौके पर मौजूद नहीं है। कुछ मौलवी विदेशी मुल्कों से मिलने वाले पैसे से भारत में आतंकवाद पैदा करने के लिए इस्लाम का गलत प्रचार करके हिन्दुस्तान में फसाद फैला रहे हैं। जो मस्जिद अब मौजूद नहीं है, उसके लिए राम मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बनाने के लिए अदालतों में लड़ाई लड़ कर देश में नफरत का माहौल पैदा कर रहे हैं।
मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में हो मस्जिद रिजवी ने कहा कि जो लोग अदालत के फैसले का सम्मान करने की बात कर रहे हैं उन्होंने शाहबानों वाले केस में अदालत का फैसला नहीं माना था। इस तरह के मुल्ला-मौलवियों का किसी धार्मिक संपत्ति पर फैसला करने का कोई भी कानूनी अधिकार नहीं है क्योंकि वक्फ अधिनियम के तहत मस्जिदें वक्फ की संपत्ति घोषित की जा चुकी हैं। शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किये गए अपने जवाब में यह बात कही है कि जो मस्जिद तोड़ी गई है, वह मीर बाकी ने बनवाई थी और वे शिया थे। जिस मुस्लिम वर्ग के व्यक्ति द्वारा जिस धार्मिक स्थल का निर्माण कराया जाता है, वह धार्मिक स्थल उसी वर्ग का माना जाता है। शिया वक्फ बोर्ड विवाद खत्म करके नई मस्जिद मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में बनाना चाहता है क्योंकि जहाँ मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाया गया था, वहां राम मंदिर स्थापित हो चुका है।
ईरान-इराक से आया फतवा, बातचीत कर निकाले मसले का हल रिजवी ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड किसी भी धार्मिक स्थल को तोड़कर वहां दुबारा मस्जिद बनाये जाने के पक्ष में नहीं है। इस मामले में ईरान और इराक के आयतुल्लाह से राय मांगी गयी थी जिसमे दो जवाब बोर्ड को प्राप्त हुए हैं। सैयद अली फातमी ने अपने फतवे में कहा है कि अलग जगह पर मस्जिद बनाने की कोशिश की जाये। एक अन्य आयतुल्लाह ने कहा है कि इस्लाम में लड़ाई, झगड़ा, विवाद मना है। ऐसे में बातचीत कर मामले का हल निकाला जाना चाहिए।