क्या है शरियत कानून
शरिया कानून में इस्लामिक समाज के उन नियमों का एक समूह है। जिससे पूरी दुनिया में इस्लामिक समाज संचालित किया जाता है। शरीयत कानून इस्लाम के भीतर सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से जीवन जीने के व्याख्या करता है। शरीयत कानून के अनुसार बताया गया है कि इन तमाम नियमों के बीच एक मुसलमान को कैसे जीवन व्यतीत करना चाहिए। वैसे अगर देखा जाए तो हर समाज और धर्म के भीतर लोगों के रहने के तौर-तरीके, नियम होते हैं। उसी तरह मुसलमानों के लिए भी कुछ नियमों को तैयार कर शरीयत कानून बनाया गया है।
शरीयत कानून से इस्लाम धर्म के मुसलमानों के लिए उनके घरेलू से लेकर राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन पर बहुत ही गहरा से प्रभाव प्रभाव पड़ता है। बताया जाता है कि शरीयत उस नीति को कहा जाता है, जो इस्लामी कानूनी परम्पराओं और इस्लामी व्यक्तिगत और नैतिक आचरणों पर आधारित होती है। इस्लामिक कानून की चार प्रमुख संस्थाएं, हनफिय्या, मलिकिय्या, शफिय्या और हनबलिय्या है, जो कुरान की आयतों और इस्लामिक समाज के नियमों की अलग-अलग तरह से बखान करते हैं। ये सभी संस्थाएं अलग-अलग सदियों में विकसित की गई थी और बाद में मुस्लिम देशों ने अपने मुताबिक इन संस्थाओं के कानूनों को अपना लिया है।
ऐसे कानून से किया जाता है मामलों का निपटारा
आपको बता दें कि जिस तरह से इस्लामिक समाज में समस्याओं के निपटाने के लिए शरीयत कानून बनाया गया है, वैसे ही दूसरे धर्मों के लिए भी ऐसा कानून बनाया गया है। इसे सिविल कोड भी कहा जाता है। जैसे 1956 का हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, इसके तहत हिंदू, बुद्ध, जैन और सिखों की पैत्रक संपत्ति का बंटवारा होता है। ऐसे ही शरीयत कानून द्वारा भी मुस्लिम समाज के भीतर कई मामलों का निपटारा किया जाता है।
शरियत कानून लागू करने की मांग
अभी वर्तमान में भारत में शरियत कानून लागू नहीं है इसलिए ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा उत्तर प्रदेश सहित भारत के हर राज्य में शरियत कानून लागू करने की मांग की जा रही है।