उत्तर प्रदेश माध्यमिक विद्यालय प्रबंधक महासभा के केदारनाथ गुप्ता के मुताबिक पहले सरकार सर्वे कराए। प्रदेश में ऐसे विद्यालयों की संख्या करीब पांच हजार है। वेबसाइट में विद्यालयों को अपने बारे में पूरी जानकारी देनी होगी। ऑनलाइन पढ़ाई से सम्बंधित शेड्यूल और विद्यालय सम्बंधी सूचनाएं भी देनी होंगी। 19 अनुदानित मदरसों के अलावा सभी सात संस्कृत विद्यालयों को भी इसमें शामिल किया गया है। वेबसाइट और कक्षा के लिए अनुभागवार (सेक्शन) बायोमीट्रिक मशीनों के लिए धनराशि उपलब्ध कराए। इसके बाद ही यह योजना सफल हो सकेगी। विद्यालयों के पास कोई ऐसी मद नहीं है जिससे वह इसमें खर्च कर सकें। इससे या तो फीस में इजाफा होगा या फिर सरकार अतिरिक्त धनराशि दे।
यह भी पढ़े – UP Board Result Date: कॉपियों का पूरा हो चुका मूल्यांकन, इस तारीख तक परिणाम हो सकता है घोषित स्कूलों के लिए बजट बनीं समस्या वेबसाइट बनवाने के लिए विद्यालयों ने अपने स्तर से प्रयास शुरू किए हैं। इनसे तीन हजार रुपये डोमेन शुल्क समेत इसे 10 से 15 हजार रुपये कंपनियां मांग रही हैं। इसमें एक साल की सर्विस भी दी जा रही है। स्कूल प्रबंधकों के मुताबिक पहले सीसीटीवी कैमरे, फिर शिक्षकों के लिए बायोमीट्रिक लाए जाने के बाद यह खर्च बढ़ाया जा रहा है।
छात्रों के लिए भी बायोमीट्रिक यदि कक्षावार व सेक्शनवार बायोमीट्रिक हाजिरी लगाई गई तो खर्च पांच हजार से लेकर लाखों तक पहुंच सकता है। अब बच्चों को समय से पहुंचना होगा। हाजिरी में कम ज्यादा हुआ अभिभावक जिम्मेदार होंगे।