प्रदेश में गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, कानपुर और लखनऊ में सबसे अधिक संक्रमित मिल रहे है। यहां स्कूल कॉलेजों में छात्र संक्रमित रहे। इससे अभिभावकों के साथ साथ स्कूल प्रशासन में हडकंप मच गया। अब मुद्दा ये है संक्रमण रुके कैसे। स्कूल कॉलेज बंद हो जाए या फिर स्वास्थ्य विभाग सभी बच्चों के टेस्ट करे। आईआईटी के प्रकरण में कानपुर के सीएमओ डॉ. नेपाल सिंह के मुताबिक कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। वायरल लोड होगा तभी दूसरे में संक्रमण फैल सकता है। ऐसे में लोगों को सतर्क होना होगा। आईआईटी में भी तेजी से संक्रमण फैल रहा है तो वहां भी नियंत्रण के उपाय जरूरी हैं।
यह भी पढ़े – खूब मजे से पूरा दिन चलाएं AC, नहीं बढ़ेगा बिजली बिल, जान लीजिए ये तरीका जिला प्रशासन करेगा फैसला स्कूलों और कॉलेजो में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्कूल कॉलेज बंद करने का फैसला जिला प्रशासन पर छोड़ दिया गया है। यदि किसी जिले में 100 से अधिक मामले हैं तो स्कूल बंद करने के साथ पाबंदियां लग सकती है। वहीं, ऑनलाइन क्लासेज को लेकर स्कूल संचोलकों ने साफ कर दिया। अभी नियमित क्लासेज चलेंगी। यदि कोविड की वजह से कोई बच्चा नहीं आता तो उनके लिए ऑनलाइन क्लासेज भी नहीं लगेंगी।
आईआईटी कानपुर में फूटा कोरोना बम आईआईटी कानपुर बीते 2-3 दिनों से रोजाना संक्रमित छात्र मिल रहे हैं। आईआईटी में में कोरोना के पॉजिटिव केस करीब 27 पहुंच गए हैं जबकि पूरे शहर में एक्टिव केस 55 हो गए हैं। कोरोना जांच करने के साथ ही जीनोम सीक्वेसिंग के लिए सैंपल भेजे जा रहे हैं। प्रदेश में रोजाना एक से डेढ़ लाख जांचे कराई जा रही है।
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डिप्टी सीएमओ डॉ. मिलिंद वर्धन के मुताबिक सभी संक्रमित बिना लक्षण के हैं। उन्होंने बताया कि पहली व दूसरी लहर में बच्चों के संक्रमण की दर 7.5 से 8.5 थी। मौजूदा समय में 8.2 फीसदी बच्चे संक्रमण की जद में हैं। संपर्क में आने वाले शिक्षक, छात्र व अन्य कर्मचारियों की जांच कराई गई है। सभी होम आइसोलेशन में हैं। 99.06 फीसदी मरीज ठीक हो रहे हैं। रोजाना छह से सात हजार लोगों की जांच कराई जा रही है।
डिप्टी सीएमओ डॉ. मिलिंद वर्धन के मुताबिक सभी संक्रमित बिना लक्षण के हैं। उन्होंने बताया कि पहली व दूसरी लहर में बच्चों के संक्रमण की दर 7.5 से 8.5 थी। मौजूदा समय में 8.2 फीसदी बच्चे संक्रमण की जद में हैं। संपर्क में आने वाले शिक्षक, छात्र व अन्य कर्मचारियों की जांच कराई गई है। सभी होम आइसोलेशन में हैं। 99.06 फीसदी मरीज ठीक हो रहे हैं। रोजाना छह से सात हजार लोगों की जांच कराई जा रही है।