सरैया चीनी मिल में खड़ा है सम्राट अशोक :- वर्ष 1873 में बना विश्व का सबसे पुराना सम्राट अशोक इंजन आज भी सरैया चीनी मिल में खड़ा है। सबसे पहले भारतीय रेल ने सम्राट अशोक को खरीदा था और बाद में सरैया चीनी मिल के चेयरमैन रहे डॉ. सर सुरेन्द्र सिंह मजीठिया ने इसे खरीद लिया था। यह इंजन इंग्लैंड से आए था। पहले इस इंजन का नाम ट्वीड था। बाद में इसे बदल गकर सम्राट अशोक कर दिया गया। इसके अलावा मिल में चार और स्टीम रेल इंजन हैं। यह वर्ष 1938 से 1942 के बीच दार्जिलिंग व पेशावर से मंगाए गए थे।
यह भी पढ़ें… पीएम मोदी के सात दौरे यूपी में बदलेंगे चुनावी फिजां चीनी मिल में रेल इंजन चौंक गए :- चीनी मिल में रेल इंजन। यह सवाल आपके दिमाग में कौंध रहा होगा। स्टीम रेल इंजन का प्रयोग चीनी मिल में गन्ने व कोयले की ढुलाई के लिए होता था। सरैया चीनी मिल की स्थापना वर्ष 1925 में हुई थी। सरैया चीनी मिल ने सरदारनगर से हेतिमपुर (कुशीनगर) तक 30 किमी लंबी रेल लाइन बिछाई। साथ ही चार रेलवे स्टेशन भी बनाए। इन स्टेशनों के पास गन्ने के सेंटर बनाए गए थे। जहां गन्ना रेल के डिब्बों में लोड किया जाता था। फिर इंजन सम्राट अशोक सौ डिब्बों को खींचकर चीनी मिल परिसर में पहुंचा देता था। इस तरह से एक बार में सौ टन गन्ने की ढुलाई हो जाती थी। चीनी मिल में तीन सौ रेल डिब्बे थे।
यह भी पढ़ें… बजाज चीनी मिल बलरामपुर की संपत्ति नीलाम होगी सभी इंजन बन गए कबाड़ :- वक्त गुजरता गया और गन्ना भुगतान न करने की वजह से चीनी मिल बंद हो गई। इंजनों को बंद कर दिया गया। प्रबंधन ने सभी डिब्बों, मिल परिसर में बिछाई गई रेल लाइन को कटवा कर बेच दिया। कुछ कीमती पार्ट निकालकर रख लिया गया पर रखरखाव न होने से सभी इंजन कबाड़ बन गए। इनमें से तीन इंजन नैरो गेज और दो मीटर गेज के हैं।
गन्ना भुगतान न करने पर हो रही है मिल नीलाम :- किसानों के गन्ना बकाए का भुगतान न करने पर कोर्ट ने मिल को नीलाम कर किसानों को पैसा देने का आदेश दिया था। कई बार प्रक्रिया हुई लेकिन नीलामी नहीं हो सकी। जिला व तहसील प्रशासन ने नीलामी में सिर्फ जमीन और मशीनों के पुर्जे को ही शामिल किया था लेकिन अब वहां रखे गए इंजनों को भी शामिल कर लिया गया है। तहसील स्तर पर फाइल तैयार हो चुकी है। जल्द ही निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी।
संचालन इनके जिम्मे था :- सम्राट अशोक को सबसे पहले डी.सी खॉन, कासिम अली, स्वर्ण सिंह, सरदार मोहन सिंह और बाद में सरदार जसबीर सिंह ने संचालित किया। ड्राइवर के रूप में पिपराइच क्षेत्र के करमैनी निवासी फारूक, जौनपुर निवासी अनीश, सरदार हुसैन काम कर चुके हैं। इंजन के रखरखाव के लिए बकायदा एक लोको विभाग बनाया गया था। इसके जरिए उसकी रिपेयरिंग व संचालन किया जाता था।
एक बार फिर दौड़ सकता है सम्राट अशोक :- मिल के चीफ इंजीनियर रहे सरदार मोहन सिंह का कहना है कि, सम्राट अशोक के कीमती पार्ट संभाल कर रखे गए हैं। उन्हें रिपेयर कर इंजन को एक बार फिर पटरियों पर चलाया जा सकता है।