सपा की तरफ से शनिवार को मध्य प्रदेश के सीधी में कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ था। सपा के प्रदेश अध्यक्ष रामायण पटेल वहां पहुंचे। रामायण पटेल ने मंच से ऐलान किया कि समाजवादी पार्टी 2023 विधानसभा में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि सपा पूरी मजबूती से मध्य प्रदेश में तीसरा विकल्प बनकर उभरेगी और बीजेपी की नफरत की राजनीति को खत्म करेगी।
समाजावादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता का कहना है कि बीजेपी भाईचारा खत्म कर रही है। बीजेपी के नफरत की राजनीति को खत्म करने के लिए सपा प्रदेश में पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी। सपा पूरी तैयारी कर ली है और आगामी विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपना मजबूत कैंडिडेट उतारेगी। सपा की विचारधारा समाजवादी है, जो बीजेपी के नफरत वाली राजनीति को खत्म करेगी।
अखिलेश राष्ट्रीय पार्टी बनाने का सपना करेंगे पूरा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस साल सितंबर में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का संकल्प लिया है। अखिलेश यादव चाहते हैं कि यूपी की तरह अन्य राज्यों में भी सपा का मजबूत गठबंधन हो। जिससे सपा राष्ट्रीय पार्टी बन सके। ये सपना अखिलेश यादव ने देखा है। अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव भी चाहते थे कि सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो।
मध्य प्रदेश में सपा को कब कितनी सीट मिली?
2003 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी सफलता मिली थी। सपा ने 161 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, इसमें सपा को 7 सीटों पर जीत मिली थी। 2008 और 2018 में सपा को एक सीट पर जीत मिली।
2003 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी सफलता मिली थी। सपा ने 161 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, इसमें सपा को 7 सीटों पर जीत मिली थी। 2008 और 2018 में सपा को एक सीट पर जीत मिली।
सपा का इतिहास समाजवादी पार्टी की स्थापना 4 अक्टूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने की। इसी साल अक्टूबर में मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया था। समाजवादी पार्टी के संस्थापक व संरक्षक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश वर्तमान में इस दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल है। समाजवादी पार्टी प्रदेश में मुस्लिम, यादव और अन्य पिछड़ी जातियों की राजनीति करती आई है। समाजवादी पार्टी ने लोकसभा और देश के अन्य राज्यो के विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है। हालांकि यूपी को छोड़कर अन्य राज्यों में सपा को कोई खास सफलता नहीं मिली है। 2005 में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बंगारप्पा समाजवादी पार्टी में शामिल होने के लिए बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। वह सपा के टिकट पर कर्नाटक के शिमोगा सीट चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 2003 विधानसभा चुनाव में सपा ने 156 सीटें जीती और मुलायम सिंह यादव तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।
2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सपा को केवल 96 सीटें मिली और प्रदेश में बसपा की सरकार बनी। जब 2012 में यूपी में विधानसभा चुनाव हुए तो सपा को 224 सीटें मिला और अखिलेश यादव पहली बार सीएम बनें। अखिलेश यादव के यादव के नेतृत्व में 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव हुए तो दोनों में हार का सामना करना पड़ा। 2017 और 2022 विधानसभा चुनाव में सपा को 18 और 111 सीटें मिली। मौजूदा समय में में सपा के 5 लोकसभा सदस्य, 8 राज्यसभा सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश में 111 विधानसभा सदस्य, 10 विधान परिषद सदस्य हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में 2, मध्यप्रदेश में 1 और गुजरात में 1 विधायक हैं।
यदि किसी पार्टी को राष्ट्रीय बनना है तो इन शर्तों में किसी एक शर्त को पूरा करना होता है? पंजीकृत दल को तीन राज्यों में लोक सभा की कुल सीटों की कम से कम 2% सीटें मिली हों।
कोई दल 4 अलग अलग राज्यों में लोक सभा या विधान सभा चुनाव में कम से कम 6% वोट मिले हो और लोक सभा में कम से कम 4 सीटें हों।
किसी भी दल को कम से कम चार या उससे अधिक राज्यों में राज्यीय दल की मान्यता प्राप्त हो।