2002 के बाद क्या हुआ था?
2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुआ था। 1996 के बाद से सत्ता से बाहर चल रहे मुलायम सिंह को सत्ता में आने की उम्मीद थी। समाजवादी पार्टी को चुनाव में सबसे ज्यादा 143 सीटें भी मिलीं। इसके बावजूद 98 सीटें जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा और दूसरे छोटे दलों की मदद से सरकार बना ली।
समाजवादी पार्टी के पास 2007 तक विपक्ष में बैठने के सिवा कोई चारा नहीं था। इसी साल 2002 में मुलायम सिंह ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की। इसके कुछ महीने बाद उत्तर प्रदेश की सियासत ने ऐसी करवट ली, जिसका अंदाजा कोई राजनीतिक पंडित नहीं लगा रहा था।
2003 में मुलायम सिंह ने बसपा को तोड़ते हुए उत्तर प्रदेश में सरकार बना ली। मुलायम सिंह बसपा को तोड़ने और रालोद को अपने साथ लाने में सफल हुए। इससे भी ज्यादा लोगों को अंचंभित करने वाला ये था कि बसपा से समर्थन वापस लेने वाली भाजपा ने भी अप्रत्यक्ष तौर पर सपा की सरकार बन जाने में मदद की। इसके बाद 2007 तक मुलायम सिंह सीएम रहे।
2012 में कोलकाता की बैठक ने फिर बदली सपा की किस्मत
2007 में विधानसभा चुनाव में हार के बाद सपा राज्य की सत्ता से बाहर हो गई। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उसकी सीटें 35 से घटकर 23 रह गईं। इसने केंद्र में भी उसकी अहमियत घटा दी।
2012 के चुनाव से पहले राजनीतिक पंडित सपा को कमजोर आंकते हुए बसपा के सत्ता में वापसी का अनुमान लगा रहे थे। 2012 के चुनाव से कुछ दिन पहले मुलायम सिंह ने कोलकाता में सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की। 2012 के चुनाव का नतीजा आया तो चौंकाने वाला था। पहली दफा समाजवादी पार्टी ने स्पष्ट बहुमत हासिल करते हुए सरकार बनाई। अखिलेश यादव पहली बार यूपी के सीएम बने।
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इस दफा भी काम करेगा टोटका?
सपा की राजनीतिक हालत को देखा जाए तो इस समय पार्टी लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुकी है। इस बीच एक बार फिर कोलकाता में बैठक हुई है। अब ये देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या लोकसभा चुनाव में सपा चमत्कारिक प्रदर्शन करते हुए केंद्र में हिस्सेदारी पाने में कामयाब होगी। या फिर इस बार 2002 और 2012 जैसा टोटका नहीं चलेगा।