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लखनऊ

यूपी सरकार के अनुसूचित जातियों पर लिए गए फैसले पर सपा का हमला, दिया बड़ा बयान, यह जातियां कर सकती हैं विरोध

यूपी में विधानसभा उपचुनाव से पहले भाजपा सरकार द्वारा पिछड़ी जातियों को SC की कैटेगरी में शामिल करने के फैसले को बड़ा राजनीतिक कदम बताया जा रहा है।

लखनऊJun 30, 2019 / 06:15 pm

Abhishek Gupta

Yogi Akhilesh

Yogi Akhilesh

लखनऊ। यूपी में विधानसभा उपचुनाव से पहले भाजपा सरकार द्वारा पिछड़ी जातियों को SC की कैटेगरी में शामिल करने के फैसले को बड़ा राजनीतिक कदम बताया जा रहा है। भाजपा ने यह दांव चलकर विपक्षी खेमे में हड़कंप मचा दिया है। 17 जातियां जैसे कहार, कश्यप, केवट, मल्लह निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर को अब अनुसूचित जातियों का फायदा मिलेगा। लेकिन इससे भाजपा को कई अन्य पिछड़ी जातियों का विरोध भी झेलना पड़ सकता है। वहीं जहां बहुजन समाज पार्टी इस मामले में अभी शांत हैं, वहीं कुछ समय में चुप बैठी समाजवादी पार्टी ने इस पर भाजपा सरकार को घेरा है।
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यह जातियां कर सकती हैं विरोध-

17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने को भाजपा मन ही मन एक विजय के रूप में ले रही होगी, लेकिन वह इसकी खुशी नहीं मना पा रही है। यदि 2014 लोकसभा चुनाव व 2017 विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो जाटव के अलावा दूसरी दलित जातियों ने भाजपा को खूब समर्थन दिया। कोरी, वाल्मीकि, धानुक, पासी, खटिक, आदि जातियां भाजपा के पक्ष में दिखी। लेकिन भाजपा के इस कदम से इन जातियों को विभिन्न क्षेत्रों में मौके कम मिल सकते हैं। ऐसे में वे इसका विरोध कर सकते हैं। शायद यही वजह है कि भाजपा खुलकर इसका श्रेय नहीं ले रही।
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Akhilesh
सपा ने उठाए सवाल-
समाजवादी पार्टी ने इस फैसले को लेने में की गई देरी के लिए यूपी सरकार पर सवाल उठाए हैं। यह तो सभी को ज्ञात है कि मायावती के अलावा पूर्व में मुलायम सिंह यादव के शासन व बाद में 2017 चुनाव से पहले अखिलेश यादव की सपा सरकार ने उन जातियों को एससी में शामिल करने की पहल की थी, लेकिन उसमें पूर्ण रूप से वे सफल नहीं हो सके। वहीं अब भाजपा सरकार में एससी कैटेगरी में समायोजित हुए पिछ़डी जातियों के फैसले के बाद सपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर पर सवाल खड़ा किया है। पार्टी का कहना है कि सामाजिक न्याय का उद्देश्य लिए 2016 में समाजवादी पार्टी सरकार द्वारा 17 ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने का निर्णय लिया। हाईकोर्ट ने 29 मार्च 2017 को हामी भरी। फिर क्यों भाजपा ने इसे लागू करने में 2 साल की देर की?
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सपा राष्ट्रीय महासचिव ने दिलाई भाजपा को यह बात याद-
वहीं सपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य विशंभर प्रसाद निषाद भी पीछे नहीं हटे और पूर्व की सपा सरकारों में इसको लेकर की गई कोशिशों का पूरा इतिहास दोहरा दिया। उन्होंने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि वह 17 अति पिछड़ी जातियों को गुमराह करने व विधानसभा उपचुनावों को देखते हुए झूठी वाहवाही लूटने का नाटक कर रही है। विशंभर प्रसाद ने कहा कि मुलायम सिंह की सरकार के दौरान कई बार केंद्र सरकार को इसके लिए सिफारिश भेजी गई थी, लेकिन उस दौरान केंद्र में शासित कांग्रेस सरकार ने इस पर विचार नहीं किया। यहीं नहीं 2007 को आई बसपा सरकार की कैबिनेट बैठक में सपा की उन सिफारिशों को खारिज कर दिया गया। 2012 में यूपी में अखिलेश की सरकार बनी और 15 फरवरी 2013 को कैबिनेट व विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर फिर से केंद्र सरकार से सिफारिश भेजी गई। केंद्र में कांग्रेस सरकार ने फिर से इसे महत्व नहीं दिया। लेकिन अखिलेश ने हार नहीं मानी और सपा सरकार ने दिसंबर 2016 में 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का शासनादेश लागू किया था, लेकिन यहां इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका इसमें रुकावट बन गई।
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Rajbhar
ओमप्रकाश राजभर भी नहीं रहे पीछे-
भाजपा गठबंधन से बेदखलस किए गए पूर्व कैबिनेट मंत्री व सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने सोशल मीडिया पर सीएम योगी से कहा कि वो 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से पहले इन जातियों को पिछड़ी जाति के सूची से बाहर करें और इन 17 जातियों का कोटा निर्धारित करें तभी इन जातियों को अनुसूचित जाति में मिलने वाली सुविधाएं मिल पाएगी। यह तभी संभव है, जब राज्य सरकार केंद्र को इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजेगी उसके बाद लोकसभा,राज्यसभा मे पास होगा उसके बाद RGI के पास जाएगी तभी यह जातियां SC की सूची में जाएगी,सरकार एक बार फिर अनुसूचित जाति में शामिल करने के बहाने गुमराह करने की तैयारी बना ली है।

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