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लखनऊ

ढाई सौ वर्ग मीटर से ज्यादा भूमि जब्त होगी, राज्य में लागू होगा भू-कानून

Land law:उत्तराखंड में जल्द ही भू-कानून लागू होने वाला है। उसके बाद बाहरी लोग यहां पर निर्धारित सीमा से अधिक जमीन नहीं खरीद पाएंगे। साथ ही सभी जिलों में भू-माफिया की कुंडली खंगालने और बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा खरीदी गई जमीनों की जांच प्रक्रिया तेज होने वाली है। इस संबंध में सीएम ने आज बड़ा ऐलान किया है।

लखनऊSep 28, 2024 / 08:33 am

Naveen Bhatt

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में भू-कानून लागू करने का ऐलान किया है

Land law : सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग उत्तराखंड में लंबे समय से चल रही थी। इस दिशा में सरकार ने अब कदम बढ़ा दिए हैं। इसे लेकर आज सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में प्रेसवार्ता में तमाम जानकारियां दीं। सीएम ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखण्ड में नगर निकाय क्षेत्र से बाहर ढाई सौ वर्ग मीटर भूमि कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति खरीद सकता है। कहा कि उनके संज्ञान में आया है कि एक ही परिवार में अलग-अलग नामों से भूमि क्रय करके प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। सीएम ने कहा कि हम इसकी जांच करायेंगे और जिन लोगों ने ऐसा किया है उनकी भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी। सीएम ने कहा कि राज्य में जिन भी व्यक्तियों ने पर्यटन, उद्योग आदि व्यवसायिक गतिविधियों के लिए अनुमति लेकर भूमि क्रय की है, परंतु उस भूमि का उपयोग इस प्रयोजन के लिए नहीं किया, ऐसी जमीनों का विवरण तैयार करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जायेगी और उनकी जमीनें राज्य सरकार में निहित की जाएगी।

अगले बजट सत्र में आएगा भू-कानून

सीएम ने कहा कि हमारी सरकार भू कानून एवं मूल निवास के मुद्दे को लेकर संवदेनशील है। हम अगले बजट सत्र में उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप एक वृहद भू कानून लाने हेतु प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मार्च 2021 से अब तक लंबे समय से चले आ रहे विभिन्न मामलों का निस्तारण हमारी सरकार ने ही किया है, उसी प्रकार मैं, उत्तराखंड की जनता को यह विश्वास दिलाता हूं कि भू कानून के मुद्दे का समाधान भी हमारी सरकार ही करेगी।
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पुराने संशोधन की होगी समीक्षा

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह भी संज्ञान में आया है कि भूमि क्रय संबंधी नियमों में वर्ष 2017 में जो बदलाव किए गए थे, उनका परिणाम सकारात्मक नहीं रहा है। (जैसे 12.5 एकड़ की अधिकतम सीमा को खत्म कर देना, जो अनुमति शासन स्तर पर मिलती थी उसके लिए जिले के अधिकारियों को अधिकृत कर देना आदि)। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रावधानों की समीक्षा की जायेगी और आवश्यक हुआ तो इन प्राविधानों को समाप्त कर दिया जाएगा। कहा कि उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बचाने के उद्देश्य से उठाए जा रहे इन कदमों से किसी भी ऐसे व्यक्ति या संस्थाओं को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, जिनके निवेश से उत्तराखंड में पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, व्यापार आदि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन होता है तथा अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।

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